इस साल थमेगी गिरावट, 5.35 फीसद रहेगी विकास दर
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2014 में पिछले अनुमानों से भी कम यानी महज 5.3 फीसद रह सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की गिरावट इस साल थम जाएगी और निवेश में हल्की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा निर्यात में शानदार बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को मजबू
संयुक्त राष्ट्र। भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर वर्ष 2014 में पिछले अनुमानों से भी कम यानी महज 5.3 फीसद रह सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की गिरावट इस साल थम जाएगी और निवेश में हल्की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा निर्यात में शानदार बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र विश्व आर्थिक हालात और परिदृश्य (डब्ल्यूईएसपी) शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि वर्ष 2013 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 4.8 फीसद रह गई। इससे पहले वर्ष 2012 में यह वृद्धि दर 5.1 फीसद रही थी। दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 70 फीसद से ज्यादा है। घरेलू खपत और निवेश घटने से भारतीय अर्थव्यवस्था में यह गिरावट आई है।
बिहार की विकास दर देश में अव्वल
भारत के लिए पूंजी पलायन और रुपये में गिरावट जैसे बाहरी कारण अभी भी चुनौती बने हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अर्थव्यवस्था की गिरावट का सिलसिला इस साल थम सकता है लेकिन जितनी रफ्तार की उम्मीद की जा रही थी सुधार उससे धीमा रहेगा। वर्ष 2014 में वृद्धि दर 5.3 फीसद और वर्ष 2015 में 5.7 फीसद रहने के आसार हैं। बेहतर मानसून, निवेश में सुधार और निर्यात में खासी बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
एक बार फिर लौटा औद्योगिक मंदी का खतरा
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि अगले दो साल तक वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के आसार हैं। वर्ष 2014 में विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तीन फीसद और वर्ष 2015 में 3.3 फीसद रह सकती है। इससे पहले वर्ष 2013 में विकास दर महज 2.1 फीसद रही थी। यूरो क्षेत्र मंदी से बाहर आ चुका है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने भी मजबूती दिखाई है।
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है भारत सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा घटाकर 4.8 फीसद करने का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी। विकास दर में कमी और रुपये की गिरावट के कारण सब्सिडी बोझ बढ़ने से राजकोषीय स्थिति पर यह दबाव पड़ेगा। रिपोर्ट में इस साल महंगाई दर नौ फीसद रहने का अनुमान जताया गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित यह महंगाई वर्ष 2013 में 9.7 फीसद रही थी। वर्ष 2015 में महंगाई दर और घटकर 8.1 फीसद पर आ सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने महंगाई पर ध्यान केंद्रित रखा है लेकिन निवेश और विकास दर में गिरावट को देखते हुए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है।