अर्थव्यवस्था में दिखने लगे सुधार के संकेत!
अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। जून 2015 में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ने से औद्योगिक उत्पादन चार महीने के उच्च स्तर पर 3.8 फीसद पर पहुंच गया। दूसरी तरफ जुलाई में खुदरा महंगाई की दर ने भी सरकार को राहत दी है। यह जून के 5.40 फीसद से घटकर
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। जून 2015 में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ने से औद्योगिक उत्पादन चार महीने के उच्च स्तर पर 3.8 फीसद पर पहुंच गया। दूसरी तरफ जुलाई में खुदरा महंगाई की दर ने भी सरकार को राहत दी है। यह जून के 5.40 फीसद से घटकर 3.78 फीसद पर आ गई है। रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कमी करने जैसा कदम उठाने का माहौल अब तैयार होने लगा है।
औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार भले ही बीते साल के मुकाबले अभी भी धीमी बनी हुई है। लेकिन जून के आंकड़े इसमें सुधार के संकेत दे रहे हैं। मई में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 2.5 फीसद रही थी। जबकि बीते साल जून में यह 4.3 फीसद थी। जून 2015 के औद्योगिक उत्पादन में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का अहम योगदान रहा है। इस महीने मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में 4.6 फीसद की वृद्धि दर दर्ज की गई है। जबकि बीते वर्ष इसी अवधि में यह मात्र 2.9 फीसद थी। लेकिन खनन और बिजली उत्पादन ने समूचे औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार को धीमा कर दिया है। खनन में वृद्धि दर शून्य से 0.3 फीसद नीचे रही है तो बिजली उत्पादन की वृद्धि दर केवल 1.3 फीसद रही।
मैन्यूफैक्चरिंग के बेहतर प्रदर्शन में कंज्यूमर ड्यूरेबल का बड़ा योगदान रहा है। जून में कंज्यूमर ड्यूरेबल के उत्पादन में 16 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है। जबकि बीते साल इसी महीने में उत्पादन में 23.3 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी। यद्यपि कैपिटल गुड्स क्षेत्र का प्रदर्शन जून में भी निराशाजनक रहा है। इस क्षेत्र के उत्पादन में 3.6 फीसद की गिरावट आई है। इसका मतलब यह हुआ कि देश के उद्योगों में विस्तार का काम रुक गया है।
दूसरी तरफ खुदरा महंगाई के मोर्चे पर सरकार को काफी राहत मिली है। जुलाई में इसकी दर 3.78 फीसद पर आ गई है। जबकि जून में यह 5.40 फीसद थी। हालांकि दालों की कीमतों में अभी भी तेजी बनी हुई है। जुलाई में दालों की महंगाई दर भी 22.88 फीसद रही है। महंगाई की दर में कमी के बाद अब रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दर में कमी का माहौल तैयार हो गया है।