Economy: 2016 में भारत की रेटिंग स्टेबल से पॉजिटिव होगी
आप सभी को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने भारत की अगले साल जीडीपी दर का अनुमान विश्व के सभी देशों से
सौम्यजीत घोष, चीफ इकोेनॉमिस्ट, एसबीआई
आप सभी को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं। इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड ने भारत की अगले साल जीडीपी दर का अनुमान विश्व के सभी देशों से ज्यादा लगाया है। आईएमएफ के मुताबिक इस साल भारत की जीडीपी दर 7.3 फीसद और अगले साल 7.5 फीसद रहेगी। भले ही पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में उथल-पुथल मची हो लेकिन भारत सबकी पसंद बना हुआ है।
जीडीपी की दर 7.8 फीसद रह सकती : भारत में घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी और भारत अगले साल विश्व की ग्रोथ में महत्वपूर्ण योगदान देगा। सरकार के हाल के किए गए सुध्ाारों, निवेश में बढ़ोतरी और कमोडिटी की कम कीमत विकास में सहयोग करेंगे। 2015-16 में जीडीपी की दर 7.8 फीसद रह सकती है।
अगले साल महंगाई भी घटेगी : महंगाई भी मार्च 2016 तक घटकर 5.4 फीसद होगी और अगली दिवाली तक 4 फीसद हो जाएगी। महंगाई में कमी तेल और खाने की कीमतें कम रहने के कारण आएगी। महंगाई के अनुमान से ज्यादा घ्ाटने के कारण ब्याज दरें घटाने का स्कोप बढ़ गया। करेंट अकाउंट घाटे में कमी के बाहरी कारणों पर लगाम लग गई है।
एक्सपोर्ट की चिंता पर रेटिंग बढ़ेगी : अभी भी एक्सपोर्ट घटने को लेकर चिंता है। भारत का एक्सपोर्ट घटना अनोखा नहीं है क्योंकि विश्व के तमाम देश इससे प्रभावित हैं। जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक विश्व का एक्सपोर्ट12.4 फीसद घटा है आने वाले महीनों में भी इसमें गिरावट जारी रहेगी। 2016 में भारत की रेटिंग स्टेबल से पॉजिटिव होगी।
ढांचागत सुध्ाारों पर देना होगा ध्यान : वित्तीय स्थिरता अनिवार्य है पर इसमें विकास भी शामिल होना चाहिए। ढांचागत सुधारों को लंबे समय से चल रही सप्लाई की दिक्कतों को खत्म करना होगा। खासतौर पर एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर, माइनिंग और पावर सेक्टर में ये दिक्कत दूर होनी चाहिए।
ये बिल हो सकते हैं पास
- भूमि अधिग्रहण
- जीएसटी
- रियल एस्टेट रेगुलेशन बिल
- एमएसई डेवलपमेंट बिल
इसके अलावा सरकार जनधन अकाउंट का दूसरा चरण शुरू करेगी। इसमें लोगों को इंश्योरेंस, पेंशन और ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाओं को देने पर फोकस होगा। सरकार ने बजट में प्लास्टिक मनी के उपयोग पर इंसेंटिव देने का फैसला लिया है। इसके दूरगामी असर होंगे। हमारे अनुमान के मुताबिक नकद लेनदेन की लागत जीडीपी के 2.1 फीसद आती है।
देश में प्लास्टिक कार्ड की पहुंच (क्रेडिट कार्ड जीडीपी का 1.7 फीसद) कम है। इसके चलते औसतन एक कार्ड पर होने वाले ट्रंाजेक्शन वैल्यू (डेबिट, क्रेडिट कार्ड 5000) भी कम है। हमे लगता है कि सरकार 2016-17 के बजट में सरकार कार्ड का उपयोग बढ़ाने के लिए बैंकों को कई तरह की स्कीम लाने के छूट देगी।
कॉरपोरेट बांड मार्केट को बढ़ाने के लिए सरकार कुछ कदम उठा सकती है। खासतौर पर शेयर बाजार में निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ाने के भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। हाल ही में आरएच पाटील कमेटी के सुझावों और हाल ही में सेबी के पेपर के रास्ते पर चलकर बहुत से कदम उठाए जा सकते हैं।