एक अप्रैल से देश में मिलेगा दुनिया का सबसे स्वच्छ पेट्रोल-डीजल, यह होगा फायदा
BS-6 petrol भारत इस तरह दुनिया के चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो रहा है। अधिक क्लीन पेट्रोल और डीजल के प्रयोग से वाहनों से होने वाले प्रदूषण में काफी हद तक रोक लगेगी।PC Pixabay
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत में अब दुनिया का सबसे क्लीन पेट्रोल और डीजल मिलेगा। एक अप्रैल से देश में यह बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भारत यूरो-4 ग्रेड के ईंधन से अब यूरो-6 ग्रेड के ईंधन में कदम रख रहा है। भारत केवल तीन साल में यह मुकाम हासिल कर रहा है। विश्व में ऐसी कोई बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं है, जिसने इतने कम समय में ऐसा किया हो। भारत इस तरह दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो रहा है, जहां सबसे क्लीन पेट्रोल-डीजल मिल रहा है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा यह दावा किया गया है।
अधिक क्लीन पेट्रोल और डीजल के प्रयोग से वाहनों से होने वाले प्रदूषण में काफी हद तक रोक लगेगी। इंडियन ऑयल के अध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा, 'करीब सभी परिशोधन संयंत्रों ने साल 2019 के आखिर तक BS-6 के अनुरूप पेट्रोल और डीजल का प्रोडक्शन शुरू कर दिया था। अब पेट्रोलियम कंपनियों ने देश में पेट्रोल और डीजल की आखिरी बूंद को BS-6 स्टैंडर्ड वाले ईंधन में बदलने का ठान लिया है।'
सिंह ने आगे कहा, ‘हम एक अप्रैल से BS-6 पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति करने के लिए काम कर रहे हैं। करीब सभी रिफायनरीज ने BS-6 ईंधनों की आपूर्ति शुरू कर दी है और यह ईंधन देश भर में भंडार डिपो तक पहुंचाए जा रहे हैं।’ सिंह ने कहा कि दुनिया का सबसे स्वच्छ पेट्रोल-डीजल भंडार डिपो से पेट्रोल पंपों तक भी पहुंचने लगा है और आने वाले कुछ हफ्तों में सिर्फ स्वच्छ पेट्रोल-डीजल ही बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।
इस नए उत्सर्जन मानक की खासियत यह है कि इस मानक वाले पेट्रोल-डीजल में सल्फर की मात्रा सिर्फ 10 पीपीएम होती है। बीएस-6 स्टैंडर्ड वाले ईँधन को सीएनजी की तरह स्वच्छ माना जाता है। सिंह के अनुसार, इस मानक वाले ईंधन से बीएस-6 वाहनों का नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन पेट्रोल कारों में 25 फीसद तक और डीजल कारों में 70 फीसद तक घट जाएगा।
गौरतलब है कि भारत ने साल 2010 में बीएस-3 स्टैंडर्ड को लागू किया था। इसके सात साल बाद देश ने बीएस-4 उत्सर्जन मानक को अपनाया। बीएस-4 के तीन साल बाद अब हमारा देश बीएस-6 उत्सर्जन मानक को अपनाने जा रहा है। सरकारी परिशोधन कंपनियों ने इस नए उत्सर्जन मानक के अनुकूल ईंधन तैयार करने के लिये करीब 35 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया है।