ईरान से कच्चा तेल नहीं खरीद सकेगा भारत
अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने के लिए दी गई छह महीने की छूट की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत अब ईरान से कच्चा तेल (क्रूड) नहीं खरीद सकेगा। पिछले वर्ष ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिका ने कुछ देशों को वहां से तेल खरीदने के लिए छह महीनों की जो छूट दी थी वह छूट की अवधि पहली मई को खत्म हो रही है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसी भी देश के लिए यह अवधि बढ़ाने से इन्कार कर दिया है। इसमें भारत, चीन और जापान समेत आठ देश शामिल हैं। छूट का लाभ उठा रहे कई देशों ने अमेरिका के इस फैसले की आलोचना की है। हालांकि अमेरिका ने कहा है कि वह और उसके सहयोगी देश अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कमी नहीं होने देंगे।
ईरान से इस वर्ष रोजाना तीन लाख बैरल तेल खरीदने की तैयारी में जुटे भारत के लिए अब दूसरे स्रोतों का इंतजाम करना होगा। भारत सरकार पहले ही सउदी अरब, इराक से इस कमी को पूरा करने की बातचीत शुरू कर चुकी है। अमेरिका से भी ज्यादा क्रूड खरीदने की राह निकलती दिख रही है।
अमेरिका के इस कदम का असर घरेलू बाजार में भी पेट्रोल व डीजल की कीमतों पर पड़ने की आशंका है। क्योंकि ईरान अब अंतरर्राष्ट्रीय क्रूड बाजार से पूरी तरह से बाहर हो जाएगा। इसका असर क्रूड की कीमत पर भी पड़ेगा। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत 74.31 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है जो पिछले छह महीनों का उच्च स्तर है। अभी जबकि भारत में आम चुनाव का दौर चल रहा है तो क्रूड का महंगा होने का राजनीतिक असर भी दिख सकता है। वैसे, पिछले एक महीने का अनुभव बता रहा है कि सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ाने में काफी एहतियात बरत रही हैं।
नीतिगत तौर पर इन्हें क्रूड की कीमत को देखते हुए रोजाना पेट्रोल व डीजल की कीमत को तय करने का अधिकार है, लेकिन हाल के दिनों में ये ऐसा नहीं कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत इस बात से भी तय होगी कि आपूर्ति करने वाले दूसरे देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब अपना उत्पादन कितना बढ़ाते हैं।
मामला क्या है?
अमेरिका ने नंवबर, 2018 में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाया था। लेकिन भारत, चीन, दक्षिण कोरिया समेत आठ देशों को छह महीने की छूट दी थी कि वे ईरान से तेल खरीदना कम कर देंगे। भारत को उम्मीद थी कि इस छूट की अवधि और बढ़ जाएगी। लेकिन सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस बारे में स्पष्ट कर दिया है कि जिन देशों को ई्ररान के साथ कारोबार करने की छूट दी गई थी, उनके लिए छूट की अवधि अब नहीं बढ़ाई जाएगी। अमेरिका ने भारत को चाबहार बंदरगाह के निर्माण व विकास को लेकर भी छूट दे रखी थी।
बड़ा सप्लायर रहा है ईरान: ईरान के तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीददार भारत ही है। वर्ष 2010-11 तक भारत सउदी अरब के बाद सबसे ज्यादा तेल ईरान से ही खरीदता रहा था। हालांकि फिलहाल ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड सप्लायर देश है। दोनों देशों की सरकारों के बीच अमेरिकी प्रतिबंध लागू होने की स्थिति में भी तेल व्यापार जारी रखने को लेकर बातचीत जारी है। इसके लिए दोनों देशों के बीच रुपये में भुगतान करने को लेकर भी सहमति बनी थी।
सरकार कर रही समीक्षा: इस बारे में विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बस इतना बताया है कि वे पूरे हालात की समीक्षा कर रहे हैं और उचित समय पर विस्तृत बयान जारी करेंगे। सूत्रों का कहना है कि वे भारत को तेल की आपूर्ति करने वाले दूसरे देशों के साथ लगातार संपर्क में है और तेल आपूर्ति में कोई बाधा नहीं होगी।