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पांच वर्षों में 100 यूनीकॉर्न वाला देश होगा भारत, इकोनॉमी को 5 लाख करोड़ डॉलर का आकार देने में मिलेगी बड़ी मदद

जियो की 4जी सेवा की लॉन्चिंग भारत की डिजिटल क्रांति के लिए गेम चेंजर साबित हुई है। किफायती दामों में इंटरनेट सेवा मिलने से बड़े पैमाने पर डाटा का इस्तेमाल शुरू हुआ है। भारत में अभी 65 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं जो प्रतिमाह 12 जीबी डाटा इस्तेमाल कर रहे हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2021 10:19 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 02:17 PM (IST)
पांच वर्षों में 100 यूनीकॉर्न वाला देश होगा भारत, इकोनॉमी को 5 लाख करोड़ डॉलर का आकार देने में मिलेगी बड़ी मदद
पांच वर्षों में 100 यूनीकॉर्न वाला देश होगा भारत PC: Pexels

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। यूनीकॉर्न यानी एक अरब डॉलर से ज्यादा का कारोबार करने वाले स्टार्ट-अप की संख्या भारत में अगले पांच वर्षो में तेजी से बढ़ सकती है। पिछले वर्ष 11 नई भारतीय कंपनियों ने यूनीकॉर्न का तमगा हासिल किया था। बैंक ऑफ अमेरिका ने एक रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा है कि वर्ष 2025 तक इनकी संख्या 100 हो सकती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रिलायंस जियो की डिजिटल क्रांति की वजह से यूनीकार्न की फौज खड़ी हुई है। भारत में अभी कुल 37 यूनीकॉर्न हैं।

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रिपोर्ट का मानना है कि जियो की 4जी सेवा की लॉन्चिंग भारत की डिजिटल क्रांति के लिए गेम चेंजर साबित हुई है। किफायती दामों में ग्राहकों को इंटरनेट सेवा मिलने से बड़े पैमाने पर डाटा का इस्तेमाल शुरू हुआ है। भारत में अभी 65 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं, जो प्रतिमाह 12 जीबी डाटा इस्तेमाल कर रहे हैं। यूनीकॉर्न को इसका पूरा फायदा मिला है। रिलायंस अपनी मेड इन इंडिया 5जी सेवा लांच करने की तैयारी में है, यह इस प्रक्रिया को और तेज कर सकती है। शिक्षा, खाद्य व ई-कॉमर्स समेत इंटरनेट आधारित सेवा देने वाली अन्य कंपनियां अगले कुछ वर्षो में शेयर बाजार में उतरेंगी जिसका व्यापक असर होगा।

भारत में मूल्य के लिहाज से फ्लिपकार्ट सबसे ऊपर है। इसका मूल्यांकन अभी 25 अरब डॉलर है। दूसरे स्थान पर करीब 16 अरब डॉलर के साथ पेटीएम है। तीसरे स्थान पर शिक्षा से जुड़ी कंपनी बायजूस है, जिसका बाजार मूल्य 11.1 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। भारत यूनीकॉर्न के मामले में कई देशों को पीछे छोड़ चुका है। ब्रिटेन जैसे विकसित देश में भी वर्ष 2020 में यूनीकार्न की संख्या 21 से बढ़कर 24 हुई है, जबकि जर्मनी में इनकी संख्या सिर्फ 12 है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी की तरफ बढ़ रहा है और इसमें यहां के डिजिटल इकोसिस्टम की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। भारतीय बाजार से सीखकर कंपनियां अब विदेशी बाजारों में प्रवेश कर रही हैं। बैंक ऑफ अमेरिका का मानना है कि ओला और ओयो के बाद बायजूस, जोमैटो, मेशो जैसे स्टार्ट-अप भी ग्लोबल स्तर पर मशहूर होंगे।


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