India-US Trade: दस साल में 500 अरब डालर का हो सकता है भारत-अमेरिका व्यापार
India-US Trade राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीति की वजह से पिछले चार साल में अमेरिका से होने वाले आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका का व्यापार वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है। औद्योगिक संगठन सीआईआई की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से 2018 के बीच दोनों देशों के आपसी व्यापार की कंपाउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) 11.8 फीसद रही है। यह दर जारी रहने पर वर्ष 2030 तक दोनों देश का व्यापार 500 अरब डॉलर के स्तर को छू लेगा।
वर्ष 2000 में भारत और अमेरिका के बीच महज 19 अरब डॉलर का व्यापार होता था जो वर्ष 2018 में 142 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2000 से लेकर अब तक सिर्फ दो साल वर्ष 2001 और 2009 में दोनों देशों के व्यापार में वैश्विक सुस्ती के कारण नकारात्मक बढ़ोतरी रही।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीति की वजह से पिछले चार साल में अमेरिका से होने वाले आयात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अमेरिका से भारी मात्रा में सुरक्षा उपकरणों की खरीद के कारण वर्ष 2014 से 2018 के बीच व्यापारिक घाटे में 22 फीसदी की गिरावट हुई है। वर्ष 2014 में यह व्यापारिक घाटा 31 अरब डॉलर का था जो वर्ष 2018 में 24.2 अरब डॉलर का रह गया।
सीआईआई की रिपोर्ट में भारत और अमेरिका के व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर के स्तर पर ले जाने के लिए भारत को अमेरिका से आने वाले मेडिकल उपकरणों की कीमत की सीमा तय करने के मामले में ढील के साथ हार्ले डेविडसन जैसी बाइक पर लगने वाले आयात शुल्क को समाप्त करने की भी सिफारिश की गई है। साथ ही, ई-कॉमर्स में एफडीआई नियमों में भी सुधार की जरूरत बताई गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को 5 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली बाइक के आयात को शुल्क मुक्त कर देना चाहिए। इससे अमेरिका को सांकेतिक जीत का अहसास होगा जिससे भारत को फायदा होगा। हार्ले के आयात पर अभी 50 फीसदी ड्यूटी है। पहले यह 75 फीसद था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अब भी ट्रेड का जिक्र होने पर हार्ले पर लगने वाले आयात शुल्क का जिक्र जरूर करते हैं। मंगलवार को भी उन्होंने मीडिया से बातचीत में इसका जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की तरफ से अमेरिकी मेडिकल डिवाइस के आयात की कीमत तय करना भारत के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। अमेरिका द्वारा भारत को अपने जेनेरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (जीएसपी) से बाहर करने की एक प्रमुख वजह भारत का यह फैसला रहा। भारत और अमेरिका इन मुद्दों पर एक व्यापक बातचीत का माहौल तैयार कर सकते हैं।