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टेक्सटाइल में आत्मनिर्भरता: भारत में ही होगा मशीन से लेकर मैन मेड फाइबर तक का निर्माण

भारत में इस्तेमाल होने वाली 75 फीसद टेक्सटाइल मशीनरी का आयात किया जाता है। (PC Pexels)

By Ankit KumarEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 08:12 AM (IST)
टेक्सटाइल में आत्मनिर्भरता: भारत में ही होगा मशीन से लेकर मैन मेड फाइबर तक का निर्माण
टेक्सटाइल में आत्मनिर्भरता: भारत में ही होगा मशीन से लेकर मैन मेड फाइबर तक का निर्माण

नई दिल्ली, राजीव कुमार। टेक्सटाइल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का पूरा प्रारूप तैयार कर लिया गया है। टेक्सटाइल क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली मशीनों से लेकर मैन मेड फाइबर तक का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। टेक्सटाइल मंत्रालय जल्द ही फोकस प्रोडक्ट्स स्कीम लांच करने जा रहा है। मैन मेड फाइबर के इस्तेमाल पर इंसेंटिव देने की भी तैयारी की जा रही है। टेक्सटाइल मंत्रालय के मुताबिक भारत में टेक्सटाइल का घरेलू बाजार 150 अरब डॉलर का है। इस क्षेत्र में 4.5 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष रूप से तो 5.5 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है।

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टेक्सटाइल मंत्रालय के सचिव रवि कपूर के मुताबिक टेक्सटाइल से जुड़ी मशीनरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है। भारत में इस्तेमाल होने वाली 75 फीसद टेक्सटाइल मशीनरी का आयात किया जाता है। कपूर के मुताबिक आयात पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए दो टेक्सटाइल मशीनरी मैन्यूफैक्चरिंग पार्क बनाने की योजना है। टेक्सटाइल मशीनरी का सालाना दो अरब डॉलर का बाजार है।

जापानी निवेशकों को भारतीय टेक्सटाइल को लेकर सरकार की तैयारी में बताते हुए कपूर ने कहा कि भारत मैन मेड फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी के रूप में खुद को तैयार कर रहा है। टेक्निकल टेक्सटाइल का इस्तेमाल उद्योग से लेकर कृषि और सड़क निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में किया जाता है। भारत में अभी कॉटन आधारित फैब्रिक्स का अधिक उत्पादन होता है, जबकि विश्व में मैन मेड फाइबर का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है।

कपूर ने बताया कि मंत्रालय मेगा टेक्सटाइल पार्क की योजना को अंतिम रूप दे रहा है। उन्होंने जापानी निवेशकों के लिए इंडो-जापान टेक्सटाइल पार्क बनाने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि इस पार्क में मशीनरी से लेकर अपैरल तक का निर्माण होगा। यह पूरी तरह से एकीकृत पार्क होगा जहां तमाम सुविधाएं होंगी। इस पार्क को समुद्री बंदरगाह के पास बनाया जाएगा ताकि यहां निर्मित उत्पादों का आसानी से निर्यात किया जा सके।

कपूर ने जापानी निवेशकों से कहा कि सरकार उनके लिए टोक्यो-तिरुपुर पार्टनरशिप प्रोग्राम चला सकती है। तिरुपुर भारतीय गारमेंट निर्यात का सबसे बड़ा हब है। टोक्यो तिरुपुर पार्टनरशिप होने से जापान का गारमेंट बाजार भारत के लिए खुल जाएगा। अभी भारतीय गारमेंट में कई प्रकार की कमियों की वजह से जापान भारत से काफी कम गारमेंट का आयात करता है। निर्यात की मांग के मुताबिक उत्पाद तैयार करने वालों को सरकार की तरफ से इंसेंटिव भी देने की योजना तैयार की जा रही है।


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