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चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए भारत-ताइवान में जल्द करार संभव, भारत में 7.5 अरब डालर के निवेश को लेकर बातचीत

भारत में चिप की बड़ी कमी महसूस की जा रही है। इससे कई कार कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और इस वजह से ही गत 10 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल) को अपने सबसे सस्ते स्मार्टफोन की लां¨चग स्थगित करनी पड़ी थी।

By NiteshEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 08:50 PM (IST)
चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए भारत-ताइवान में जल्द करार संभव, भारत में 7.5 अरब डालर के निवेश को लेकर बातचीत
India Taiwan agreement possible for chip manufacturing

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ताइवान जल्द भारत में चिप मैन्यूफैक्च¨रग क्षेत्र में बड़ा निवेश कर सकता है। दोनों देशों के बीच चिप मैन्यूफैक्च¨रग के क्षेत्र में निवेश को लेकर बातचीत चल रही है और अगले कुछ महीनों में इस निवेश को लेकर करार हो सकता है। ताइवान की कंपनियां भारत को एक बड़े चिप मैन्यूफैक्च¨रग बाजार के तौर पर देख रही हैं। ये कंपनियां भारत में उत्पादित चिप को दूसरे देशों में निर्यात की योजना भी बना रही हैं। भारत की तरफ से ताइवान की कंपनियों को निर्माण संयंत्र लगाने के लिए कर छूट देने के साथ ही दूसरी सहूलियतें भी देने की तैयारी है।उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्च¨रग कंपनी (टीएमएमसी) भारत में चिप बनाने का प्लांट लगाने पर 7.5 अरब डालर का निवेश कर सकती है।

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यह कंपनी 5जी उपकरणों से लेकर इलेक्टि्रक कारों में लगने वाली चिप का निर्माण करेगी। भारत में बनने वाली चिप की आपूर्ति पूरे दक्षिण-एशिया में करने की भी योजना है। सूत्रों के मुताबिक चिप के निर्माण संबंधी निवेश को लेकर दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। भारत ताइवान के निवेश के लिए स्थान का चयन करने में लगा है।

सेमीकंडक्टर का निर्माण करने पर भारत इससे जुड़े कंपोनेंट्स के आयात पर शुल्क में छूट दे सकता है और निवेश पर टैक्स में छूट के साथ अन्य इंसेंटिव भी दिए जा सकते है।दुनिया में इस्तेमाल होने वाले 60 फीसद सेमीकंडक्टर का उत्पादन ताइवान करता है। फाक्सकान, विस्ट्ऱान, पेगाट्रान, एसर व डेल्टा इलेक्ट्रानिक्स जैसी ताइवानी कंपनियां पहले से भारत में काम कर रही हैं। चीन के साथ ताइवान की तल्खी है। इस वजह से भी ताइवान भारत के साथ निवेश के जरिए अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है। वर्ष 2025 तक भारत में 90 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल करेंगे। वहीं उस वक्त तक भारत 100 अरब डालर मूल्य के सेमीकंडक्टर का आयात कर सकता है जो फिलहाल 24 अरब डालर है। ऐसे में ताइवान भारत को एक बड़े बाजार के रूप में भी देख रहा है और वह पिछले कई सालों से भारत के साथ व्यापार समझौता करने को भी इच्छुक है।

भारत में चिप की बड़ी कमी महसूस की जा रही है। इससे कई कार कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और इस वजह से ही गत 10 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल) को अपने सबसे सस्ते स्मार्टफोन की लां¨चग स्थगित करनी पड़ी थी। सूत्रों के मुताबिक ताइवान ने चिप प्लांट लगाने से पहले भारत को अपनी जरूरतें बताई हैं और संबंधित कमियों को दूर करने का आग्रह किया है।

यह भी संभव है कि ताइवान चिप की फाउंड्री लगाने से पहले भारत में पूरी तरह से चिप की डिजाइ¨नग का काम शुरू करे। वैसे भारत में सैमसंग, विप्रो, ब्राडकाम इंक जैसी कई कंपनियां पहले से चिप डिजाइ¨नग का काम कर रही है।टेलीकाम विशेषज्ञों के मुताबिक चिप के उत्पादन में कम से कम 75,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। ताइवान अगर भारत में निवेश करता है तो उसके पास पहले से कच्चा माल और तकनीक है। इसलिए ताइवान को किसी अन्य कंपनी से मुकाबला नहीं करना पड़ेगा।


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