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    मुंबई के अंधेरी से जुड़े हैं स्विस बैंक में जमा कालेधन के तार

    By Ankit KumarEdited By:
    Updated: Fri, 27 Sep 2019 02:30 PM (IST)

    Black Money रिपोर्ट्स और कुछ रेगुलेटर के आदेश के मुताबिक भारत के सबसे बड़े कारोबारी समूहों से जुड़ी इकाइयों ने इस कंपनी की स्थापना की थी लेकिन बाद में ...और पढ़ें

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    मुंबई के अंधेरी से जुड़े हैं स्विस बैंक में जमा कालेधन के तार

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्विस बैंकों में जमा कालाधन के खिलाफ भारत की लड़ाई मुंबई स्थित अंधेरी के ग्रामीण इलाके की एक सॉफ्टवेयर कंपनी तक पहुंच गई है। इस कंपनी का नाम है मोटेक सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमेटेड। इसकी स्थापना दो दशक पहले हुए थी और इसने दूसरे देशों की कई इकाइयों के जरिए स्विट्जरलैंड में करोड़ों डॉलर जमा कराए। भारत के अधिकारियों ने इस कंपनी के खिलाफ जांच के लिए स्विट्जरलैंड की सरकार से सहायता मांगी है। इसके बाद स्विटजरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने कंपनी को एक ऐसे व्यक्ति को नॉमिनेट करने को कहा है, जो उसके पक्ष को रख सके। 

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    स्विट्जरलैंड में हाल में प्रकाशित गजट में मोटेक सॉफ्टवेयर को दस दिन के भीतर भारतीय कर अधिकारियों के साथ जानकारी साझा करने के खिलाफ अपील करने के लिए 10 दिन के भीतर नामांकित व्यक्ति का विवरण देने को कहा है। 

    सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध ऑफिशियल दस्तावेजों में कंपनी के स्वामित्व और बिजनेस के बारे में बहुत अधिक विवरण नहीं है लेकिन कंपनी 'एचएसबीसी लिस्ट' के अनुसार बैंक की सबसे बड़ी भारतीय अकाउंटहोल्डर है। बैंक के जिनेवा ब्रांच में उसके 50 करोड़ डॉलर जमा हैं। 

    रिपोर्ट्स और कुछ रेगुलेटर के आदेश के मुताबिक भारत के सबसे बड़े कारोबारी समूहों से जुड़ी इकाइयों ने इस कंपनी की स्थापना की थी लेकिन बाद में अपने सारे संबंध तोड़ लिए थे। 

    दिलचस्प यह है कि पहले की जॉब पोस्टिंग में दर्ज वेबसाइट एड्रेस पर अब पॉर्न कॉटेंट हैं। वहीं, उस पर दर्ज फोन नंबर और ईमेल आईडी भी सक्रिय नहीं हैं। 

    रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के रिकॉर्ड के मुताबिक कंपनी अब भी सक्रिया है और उसका कुल पैडअप कैपिटल पांच करोड़ रुपये है। कंपनी की पिछली वार्षिक आम बैठक 30 दिसंबर, 2011 को हुई ती। कंपनी का पंजीकृत पता मुंबई के अंधेरी (पूर्व) इलाके के मोगरा गांव लेन बताया गया है।

    भारत और फ्रांस की सरकार के बीच द्विपक्षीय करार के बाद एचएसबीसी लिस्ट का विवरण मिलने के बाद यह कंपनी जांच के घेरे में आई थी। उसके बाद भारतीय अधिकारियों ने स्विट्जरलैंड से विवरण मांगा था और अब यह प्रक्रिया दोनों देशों के बीच सूचना साझा करने के आखिरी चरण में पहुंच गया है।

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