Move to Jagran APP

Current Account Deficit: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी न्यूज, कैड दो फीसद पर सीमित

केंद्रीय बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पहले क्वार्टर में नेट फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट 13.9 अरब डॉलर का रहा।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 08:13 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 08:18 AM (IST)
Current Account Deficit: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी न्यूज, कैड दो फीसद पर सीमित
Current Account Deficit: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी न्यूज, कैड दो फीसद पर सीमित

मुंबई, पीटीआइ। क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी तथा अदृश्य मदों से प्राप्त धन में बढ़ोत्तरी से वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में देश के करेंट अकाउंट डेफिसिट (कैड) को जीडीपी के दो फीसद के भीतर रखने में मदद मिली। अप्रैल से जून तिमाही में कैड जीडीपी का दो फीसद या 14.3 अरब डॉलर पर रह गया। आरबीआई ने सोमवार को यह जानकारी दी। पिछले साल अप्रैल-जून तिमाही में कैड जीडीपी के 2.3 फीसद या 15.8 अरब डॉलर के स्तर पर था। एक खास अवधि में प्राप्त विदेशी मुद्रा और भुगतान के बीच के अंतर को करेंट अकाउंट डेफिसिट कहते हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि अदृश्य मदों से अधिक आय की वजह से कैड के स्तर में कमी लाने में मदद मिली है। आरबीआई ने कहा है कि आलोच्य तिमाही में अदृश्य मदों से 31.9 अरब डॉलर की प्राप्ति हुई। पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में यह आंकड़ा 29.9 अरब डॉलर पर था। 

loksabha election banner

केंद्रीय बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक पहले क्वार्टर में नेट फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट 13.9 अरब डॉलर का रहा। वित्त वर्ष 2018-19 की इसी समान तिमाही में यह आंकड़ा 9.6 अरब डॉलर पर था। आलोच्य तिमाही के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने नेट आधार पर 4.8 अरब डॉलर का निवेश किया। 2018-19 की पहली तिमाही में नेट आधार पर इसमें 8.1 अरब डॉलर का आउटफ्लो देखने को मिला था। 

आरबीआई के मुताबिक वार्षिक आधार पर सर्विस सेक्टर से प्राप्त आय 7.3 फीसद तक बढ़ी है। सर्विस सेक्टर में वृद्धि की मुख्य वजह ट्रेवल, फाइनेंशियल सर्विसेज, टेलीकॉम, कंप्यूटर और इंफॉर्मेशन सर्विसेज से आय में हुई वृद्धि बताई जा रही है। 

केंद्रीय बैंक के मुताबिक पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 14 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं, 2018-19 की पहली तिमाही की बात करें तो तब इसमें 11.3 अरब डॉलर की कमी दर्ज की गई थी। 

रेटिंग एजेंसी इक्रा की प्रींसिपल इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कैड में कमी को ‘आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक’ रुझान बताया है। नायर के मुताबिक कैड का मौजूदा स्तर उम्मीद से कम है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.