साइबेरिया से भारत आएगी नैचुरल गैस, भारत और रूस मिलकर बिछाएंगे 4,500 से 6,000 किमी लंबी पाइपलाइन
दुनिया की सबसे महंगी पाइपलाइन के निर्माण की संभावनाएं तलाशने पर सहमति बन गई है, करीब 25 अरब डॉलर की लागत से बनने वाली यह पाइपलाइन भारत और रुस बनाएंगे

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे महंगी पाइपलाइन के निर्माण की संभावनाएं तलाशने पर सहमति बन गई है, करीब 25 अरब डॉलर की लागत से बनने वाली यह पाइपलाइन भारत और रुस बनाएंगे। यह पाइपलाइन 4,500 से 6,000 किलोमीटर लंबी होगी, जो कि रूस के ग्रिड को भारत से जोड़ेगी। सबसे छोटे मार्ग से यह पाइपलाइन हिमालय के रास्ते उत्तर भारत से जोड़ी जाएगी। हालांकि, इस परियोजना को लेकर अभी भी कई तकनीकी चुनौतियां सामने हैं। गौरतलब है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे अधिक उर्जा खपत वाला देश है।
वैकल्पिक मार्ग से यह पाइपलाइन मध्य एशियाई देशों ईरान और पाकिस्तान से पश्चिमी भारत आ सकती है। यह मार्ग ईरान-पाकिस्तान-भारत की छोटी और सस्ती पाइपलाइन की तुलना में महंगी साबित होगी। इंजीनियर्स इंडिया लि. ने कल रूस की गैस कंपनी गैजप्रोम के साथ रूस-भारत पाइपलाइन के अध्ययन के लिए करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इंजीनियर्स इंडिया के शुरुआती अनुमान के मुताबिक सबसे लंबे 6,000 किलोमीटर के मार्ग पर इसकी लागत 25 अरब डॉलर होगी। ईआईएल के अनुसार गैस के परिवहन की लागत तकरीब 12 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होगी।
अधिकारियों का कहना है कि ईरान की ओर से भारत को यह सुझाव दिया जा सकता है कि वह इतनी महंगी पाइपलाइन के निर्माण के बजाय गैस आईपीआई से लेकर जाए। तीसरा और सबसे लंबा विकल्प चीन और म्यांमार के रास्ते बांग्लादेश को अलग करते हुए पूर्वोत्तर भारत में पाइपलाइन लाना है।

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