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अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भारत को बैंक और श्रम जैसे बुनियादी सुधारों पर जोर देने की जरूरत: IMF

राजकोषीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए विकास की नीतियां बनाने और कर्ज के उच्च स्तर को कम करने की जरूरत है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 08:56 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 08:56 AM (IST)
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भारत को बैंक और श्रम जैसे बुनियादी सुधारों पर जोर देने की जरूरत: IMF
अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भारत को बैंक और श्रम जैसे बुनियादी सुधारों पर जोर देने की जरूरत: IMF

वाशिंगटन, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारतीय इकोनॉमी की बेहतरी के लिए ढांचागत सुधार की सलाह दी है। आइएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने सरकार को सलाह देते हुए कहा है कि भारतीय इकोनॉमी को विकास की राह पर ले जाने के लिए बैंक और श्रम जैसे बुनियादी सुधारों पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं।

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सरकार का ध्यान सुस्ती को दूर करने, घरेलू मांग और उत्पादकता बढ़ाने के साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होना चाहिए। पिछली छह तिमाहियों से जीडीपी ग्रोथ सुस्त रही है। मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट के चलते जुलाई-सितंबर की तिमाही के दौरान यह 4.5 परसेंट के स्तर पर आ गई। गोपीनाथ ने मोदी सरकार की नीतिगत प्राथमिकताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकार को अपने दूसरे कार्यकाल में ढांचागत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। राजकोषीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए विकास की नीतियां बनाने और कर्ज के उच्च स्तर को कम करने की जरूरत है। इसके लिए निजी निवेश को बढ़ावा देना होगा और सब्सिडी के रूप में होने वाले खर्च को तार्किक बनाना होगा।

एक प्रश्न के जवाब में गोपीनाथ ने कहा कि भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनने के लक्ष्य को पाने के लिए निवेश बढ़ाने पर जोर देना होगा। इसके साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान दिए जाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने जीएसटी के उचित अनुपालन, टैक्स सुधार और व्यापार के अनुकूल नीतियां बनाने की सलाह दी।

इकोनॉमी में बुनियादी सुधारों पर बात करते हुए आइएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने भारत सरकार को तीन नीतिगत प्राथमिकताएं तय करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले भारत सरकार को बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थानों के सुधार पर जोर देने की जरूरत है। इसके लिए बैंकों का एनपीए कम करना होगा और सरकारी बैंकों में प्रशासनिक सुधार करने होंगे। इसके साथ ही एनबीएफसी सेक्टर में रिस्क मैनेजमेंट और लिक्विडिटी पर नजर बनाए रखनी होगी।

गोपीनाथ ने कहा कि राजकोषीय लक्ष्यों को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है। इसे केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर अंजाम देना होगा। प्रशासनिक सुधार और टैक्स अनुपालन के जरिये सरकारी कर्ज को कम करना होगा। उन्होंने राजकोषीय पारदर्शिता में और सुधार की गुंजाइश पर भी जोर दिया। तीसरे ढांचागत सुधार का जिक्र करते हुए गोपीनाथ ने कहा कि भारत में श्रम, भूमि और उत्पाद बाजार में सुधार की जरूरत है। इसके साथ ही रोजगार के क्षेत्र में वृद्धि के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

अमेरिका-चीन समझौते से ग्लोबल इकोनॉमी को मिलेगी गति

गीता गोपीनाथ ने कहा है कि अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड डील और ब्रेक्जिट जैसे मुद्दों के हल होने से ग्लोबल स्तर पर आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। पिछले कुछ समय से ग्लोबल इकोनॉमी में सुस्ती देखी जा रही है। गोपीनाथ ने कहा कि व्यापार के साथ-साथ भू-राजनैतिक कारणों के चलते वैश्विक आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई हैं। आइएमएफ ने वर्ष 2019 के लिए ग्लोबल इकोनॉमी की विकास दर तीन और 2020 के लिए 3.4 परसेंट आंकी है।


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