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ग्लोबल सप्लाई चेन का केंद्र बनेगा भारत, उद्योगों ने मंत्रालय के सामने रखी अपनी योजना

चीन के खिलाफ बन रहे माहौल में वैश्विक अवसर को भुनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां तीन मंत्रों को अपनाने जा रही हैं।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 09:04 AM (IST)
ग्लोबल सप्लाई चेन का केंद्र बनेगा भारत, उद्योगों ने मंत्रालय के सामने रखी अपनी योजना
ग्लोबल सप्लाई चेन का केंद्र बनेगा भारत, उद्योगों ने मंत्रालय के सामने रखी अपनी योजना

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। ‘रिस्टार्ट, रिस्टोर और रिसर्जेंस’। यानी शुरू करना, अपने पुराने स्थान पर आना और फिर उसे उंचाई तक ले जाना - चीन के खिलाफ बन रहे माहौल में वैश्विक अवसर को भुनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां इन्हीं तीन मंत्रों को अपनाने जा रही हैं। इन मंत्रों की मदद से वियतनाम को पीछे छोड़ चीन को टक्कर देते हुए दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बनने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मई से इन मंत्रों पर अमल शुरू हो जाएगा। बुधवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व आइटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद के साथ देश की सभी प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों की बैठक में इन इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल कंपनियों की एसोसिएशन ने भी शिरकत की।

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बैठक में कंपनियों के प्रतिनिधियों ने वैश्विक अवसर को भारत के पक्ष में लाने के लिए मंत्रलय के सामने प्रस्तुतीकरण दिया। रिस्टार्ट मंत्र पर मई से जुलाई के बीच अमल किया जाएगा। इसके तहत इस दौरान मैन्यूफैक्चरिंग और रिटेल चेन शुरू करने समेत निर्यात को आगे बढ़ाने के साथ वैश्विक सप्लाई चेन के लिए दरवाजे खोलने की शुरुआत की जाएगी।

रिस्टोर मंत्र पर अमल का काम अगस्त से लेकर अक्टूबर तक चलेगा। इसके तहत रोजगार को सुरक्षित करने, उत्पादन को 100 फीसद क्षमता तक ले जाने, निर्यात प्रोत्साहन, घरेलू मांग में बढ़ोतरी के साथ भौगोलिक-राजनैतिक स्थिति का लाभ उठाने जैसे काम पूरे करने का लक्ष्य रखा गया है। सबसे महत्वपूर्ण मंत्र रिसर्जेस की अवधि इस साल अक्टूबर के बाद शुरू होगी जो वर्ष 2025 तक जारी रहेगी। इस दौरान विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने, वियतनाम को पीछे छोड़ने के साथ चीन को टक्कर देते हुए विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक देश बनने का लक्ष्य रखा गया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक चीन के खिलाफ कई बार ऐसे मौके आए हैं जिसे भारत भुना सकता था। भारत के मुकाबले वियतनाम छोटा सा देश है, लेकिन वह चीन के खिलाफ मिलने वाले अवसरों को भुनाते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात का बड़ा केंद्र बन गया। वियतनाम अभी 90 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात करता है जबकि भारत 8.5 अरब डॉलर के आस-पास ही अटका है।

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की तरफ से लगभग 50,000 करोड़ के पैकेज का एलान किया गया है। बुधवार को प्रसाद के साथ होने वाली बैठक में एपल, लावा, शाओमी, फॉक्सकॉन, ओप्पो जैसी कंपनियों के साथ आइसीईए, आइटीआइ, टेमा जैसे संगठनों ने भी भाग लिया।


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