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नये की चाहत में निकलने लगा घर में पड़ा पुराना सोना

आसमान छूती सोने की कीमतों की वजह से आम आदमी केबीच नई खरीदारी का आकर्षण कम होता जा रहा है। ऐसे में घर में पड़े पुराने सोने के इस्तेमाल का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। व‌र्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुराने सोने से नए आभूषण बनाने के काम में पांच गुना वृद्धि हुई है। वही

By Edited By: Published: Fri, 15 Nov 2013 09:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
नये की चाहत में निकलने लगा घर में पड़ा पुराना सोना

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आसमान छूती सोने की कीमतों की वजह से आम आदमी के बीच नई खरीदारी का आकर्षण कम होता जा रहा है। ऐसे में घर में पड़े पुराने सोने के इस्तेमाल का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। व‌र्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुराने सोने से नए आभूषण बनाने के काम में पांच गुना वृद्धि हुई है। वहीं, दुनिया में यह ट्रेंड 11 फीसद कम हुआ है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की सख्ती की वजह से देश में इस कीमती धातु की खपत में इस वर्ष 32 फीसद तक की गिरावट आई है। गुरुवार को जारी डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट पर दिल्ली बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल का कहना है कि कीमतें बढ़ी हैं। मगर सोने के इस्तेमाल पर ज्यादा लगाम लगाई नहीं जा सकती। ऐसे में एक बड़ा वर्ग अब शादी-ब्याह में पुराने पड़े सोने का इस्तेमाल करने लगा है। खास तौर पर ग्रामीण व छोटे शहरों में पुराने आभूषण को नए में तब्दील करवाने का काम काफी जोरों से चल रहा है।

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वैसे, गोयल डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट को बहुत तवज्जो नहीं देते लेकिन यह जरूर मानते हैं कि नए सोने के बजाये पुराने सोने का काम ही सराफा बाजार को बचाए हुए है। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट कहती है कि कीमत में तेजी के साथ नए सोने की आपूर्ति भी देश में काफी कम हुई है। इसकी वजह से भी लोग घरों में रखे पुराने सोने का इस्तेमाल करने लगे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-सितंबर तिमाही में देश में सोने की खपत लगभग आधी रह गई है। इस दौरान 148 टन सोने की खपत हुई जो पिछले साल इसी अवधि में 310 टन थी। मजेदार तथ्य यह है कि भारत के कुछ पड़ोसी देशों (भूटान, नेपाल) में सोने की खपत बढ़ी है। इसे भारत से जोड़ कर देखा जा रहा है।

भारत में सोना आयात पर अंकुश को देखते हुए अब इन पड़ोसी देशों के जरिए इसे देश में लाया जा रहा है। आयात घटाने का फैसला देश में गैर कानूनी तरीके से सोने के कारोबार को बढ़ावा दे रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब सोने की खपत के मामले में चीन से पीछे हो गया है। कैलेंडर वर्ष 2013 में सोने की खपत 900 टन रहने के आसार हैं, जबकि चीन में यह 1300 टन रह सकता है। पिछले वर्ष भारत में 1000 टन सोने की खपत हुई थी। देश में स्वर्ण आभूषणों की खरीद में 23 फीसद और निवेश के लिहाज से सिक्कों या बार की खरीद में 48 फीसद की कमी आई है।


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