भारत का बैंकिंग सेक्टर पूंजी की कमी का कर सकता है सामना : फिच
एजेंसी ने एक बयान में कहा है यदि घरेलू अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों से नहीं उबर पाती है तो ऐसी उच्च संकटपूर्ण स्थिति में पूंजी की जरूरत बढ़कर 58 अरब डॉलर
नई दिल्ली, आइएएनएस। रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि भारत का बैंकिंग सेक्टर कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों के कारण पूंजी की कमी का सामना कर सकता है। फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारतीय बैंकों को कम से कम 15 अरब डॉलर की नई पूंजी की जरूरत पड़ सकती है, ताकि वे एक मध्यम दर्जे के तनाव को देखते हुए अनुमानित औसत कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात के 10 फीसद को पूरा कर सकें।
एजेंसी ने एक बयान में कहा है, यदि घरेलू अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों से नहीं उबर पाती है तो ऐसी उच्च संकटपूर्ण स्थिति में पूंजी की जरूरत बढ़कर 58 अरब डॉलर हो सकती है।
फिच ने कहा है, सरकारी बैंकों को बल्क में पुनर्पूजीकरण की जरूरत होगी, क्योंकि सरकारी बैंकों में पूंजी क्षरण का जोखिम निजी बैंकों की तुलना में काफी अधिक है।
फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि अधिकांश पुनर्पूजीकरण की जरूरत वित्त वर्ष 2022 के दौरान होगी, क्योंकि 180 दिनों के एक नियामकीय स्थगन के कारण बैड लोन की पहचान करने का काम आगे बढ़ गया है।
एक बयान में कहा गया है कि हालांकि, एक स्पष्ट तस्वीर दिसंबर 2020 से उभरनी शुरू हो जानी चाहिए, जब तक कि केंद्रीय बैंक एक बार के लोन पुनर्गठन के लिए सहमत नहीं हो जाता है, जो बैड लोन की समय पर मान्यता और संकल्प को प्रभावित करेगा।
इसके अलावा, फिच को उम्मीद है कि कम से कम अगले दो साल के लिए परिसंपत्ति की गुणवत्ता और कमाई का दबाव बढ़ेगा, क्योंकि व्यावसायिक गतिविधि और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान के साथ-साथ व्यक्तिगत आय में कमी और बैंकों की बैलेंस शीट को नुकसान पहुंचा सकता है।