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PNB घोटले में तीन दर्जन सीए रिजर्व बैंक के रडार पर

बैंकिंग घोटालों और धांधलियों में CA, CS की भूमिकाओं पर उठते सवालों के बीच बाजार नियामक SEBI भी सख्ती की तैयारी में है

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 11:50 AM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 11:50 AM (IST)
PNB घोटले में तीन दर्जन सीए रिजर्व बैंक के रडार पर
PNB घोटले में तीन दर्जन सीए रिजर्व बैंक के रडार पर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकों के फंसे कर्जो यानी एनपीए को लेकर रिजर्व बैंक की कार्रवाई की जद में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) भी आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, रिजर्व बैंक की जांच के दायरे में तीन दर्जन से ज्यादा सीए हैं। इन पर एनपीए वाली कंपनियों के प्रमोटरों के साथ मिलकर धांधली करने का आरोप है।

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इन दिनों बड़ी संख्या में कंपनियां खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन कर रही हैं। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय बैंक इस तरह के मामलों से जुड़े अहम लोगों पर कड़ी नजर रख रहा है। फिलहाल कई कंपनियों के लोन डिफॉल्ट मामले में रिजर्व बैंक करीब 40 सीए की भूमिका की जांच कर रहा है। केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि किसी सीए ने फंसे कर्जो की रीस्ट्रक्चरिंग या अन्य प्रक्रिया में गैरकानूनी तरीके से किसी कंपनी की मदद की है या नहीं।

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में करीब 13 हजार करोड़ रुपये के घोटाले में कई सीए की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। तब से विभिन्न नियामक संस्थाएं सीए की भूमिका पर नजर रखे हुए हैं। देश में सीए की सर्वोच्च संस्था आइसीएआइ की उच्चस्तरीय समिति भी पीएनबी घोटाले में अपनाई गई रणनीति को समझने का प्रयास कर रही है। अधिकारियों के मुताबिक, इस समय 4.5 लाख करोड़ रुपये का एनपीए दिवालिया प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में है।

सीए, सीएस पर जुर्माना लगा सकता है सेबी

बैंकिंग घोटालों और धांधलियों में सीए, सीएस की भूमिकाओं पर उठते सवालों के बीच बाजार नियामक सेबी भी सख्ती की तैयारी में है। सूचीबद्ध कंपनियों के साथ अपने कामकाज में किसी भी तरह की गड़बड़ी या लापरवाही बरतने पर सीए, कंपनी सचिवों (सीएस), कॉस्ट अकाउंटेंट्स और वैल्यूअर्स (कंपनी के मूल्य का आकलन करने वाले) पर सेबी जुर्माना लगाने पर विचार कर रहा है। नियामक उन्हें मिलने वाली फीस भी जब्त कर सकता है। पीएनबी घोटाला, वाट्सएप लीक और फोर्टिस के मामलों में ऑडिटर्स की भूमिका पर सवाल उठे हैं।

इससे पहले सत्यम और किंगफिशर के मामले में भी इनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सेबी इस तरह की धोखाधड़ी पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र का विस्तार कर रहा है। बाजार में विश्वास बढ़ाने के लिए सेबी इस तरह के नए नियमन लाने पर गौर कर रहा है। नियामक ने इस संबंध में परामर्श पत्र तैयार किया है। सभी संबद्ध पक्षों से चर्चा के बाद नियमन को अंतिम रूप दिया जाएगा।


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