एनक्लैट में NCLT के फैसले को सरकार की चुनौती, क्षेत्रधिकार से बाहर जाकर आदेश देने की बात कही
आठ अक्टू्बर 2018 को एनसीएलटी ने कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया के लिए रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) नियुक्त किया। आरपी ने कंपनी में फंड डायवर्जन की बात कही थी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। एनसीएलटी के एक आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार एनक्लैट जा पहुंची है। इस आदेश में एसएफआइओ को दो कंपनियों की जांच करने को कहा गया था। केंद्र का तर्क है कि एनसीएलटी को इस तरह का आदेश देने का अधिकार नहीं है। इस याचिका में कहा गया है कि एसएफआइओ को जांच के लिए आदेश देने का अधिकार सिर्फ कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को है। एनसीएलटी ने कंपनी एक्ट के तहत प्राप्त अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर जांच का आदेश दिया है।
यह मामला पिछले सप्ताह एनक्लैट के पास सुनवाई के लिए आया था। उसने इस पर सुनवाई करते हुए एनसीएलटी के आदेश पर रोक लगा दी थी। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा था कि अगले आदेश तक यथास्थिति बनाई रखी जाए।
जिंक एक्सपोर्ट्स पर दिवालिया प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की एनसीएलटी निगरानी कर रही थी। इस दौरान इसने 16 नवंबर 2018 को एसएफआइओ को धोखाधड़ी के मामले की जांच का आदेश दिया था। लक्जरी ट्रेन प्राइवेट लिमिटेड के मामले में महाराष्ट्र टूरिज्म डेवलेपमेंट कॉरपोरेशन ने दिवालिया याचिका दाखिल की थी।
आठ अक्टू्बर, 2018 को एनसीएलटी ने कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया के लिए रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) नियुक्त किया। आरपी ने कंपनी में फंड डायवर्जन की बात कही थी। इसके बाद एनसीएलटी ने एसएफआइओ को लक्जरी ट्रेन प्राइवेट लिमिटेड की जांच का आदेश दिया था। एसएफआइओ ने स्पष्ट आदेश नहीं मिलने और शक्तियों की कमी का हवाला देते हुए इन मामलों की जांच करने से इन्कार कर दिया था।