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भारत-अमेरिका की व्यापार वार्ता में आयात शुल्क रहेगा सबसे अहम मुद्दा: प्रभु

वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि भारत सभी देशों के साथ बेहतर कारोबारी रिश्ते बनाए रखने की रणनीति पर चल रहा है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 02:41 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 03:23 PM (IST)
भारत-अमेरिका की व्यापार वार्ता में आयात शुल्क रहेगा सबसे अहम मुद्दा: प्रभु
भारत-अमेरिका की व्यापार वार्ता में आयात शुल्क रहेगा सबसे अहम मुद्दा: प्रभु

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत और अमेरिका के बीच 26 व 27 जून को होने वाली आधिकारिक स्तर की बातचीत में आयात शुल्क में वृद्धि अहम मसला होगा। भारत की तरफ से 29 उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि की घोषणा के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली बैठक हो रही है। बैठक में दोनों देशों के बीच सहमति बनने की स्थिति में वृद्धि पर अमल टल भी सकता है।

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इसी महीने वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु के अमेरिका दौरे में दोनों देशों के बीच व्यापार के मुद्दे पर आधिकारिक स्तर की बातचीत शुरू करने का निर्णय हुआ था। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि अगले सप्ताह यह बैठक होने की संभावना है। इस बातचीत का हालांकि अभी कोई एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है लेकिन बताया जा रहा है कि अधिकारी स्तर की वार्ता में पर इस मुद्दे पर चर्चा होने की पूरी उम्मीद है।

वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि भारत सभी देशों के साथ बेहतर कारोबारी रिश्ते बनाए रखने की रणनीति पर चल रहा है। शुक्रवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए वाणिज्य व उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इस तरह के रुख की बात दोहरायी थी। प्रभु ने कहा ‘हम किसी देश के खिलाफ नहीं हैं। हम दुनिया के सभी देशों के साथ कारोबार करना चाहते हैं।’

गुरुवार को भारत ने अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए 29 उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि आधिकारिक स्तर पर होने वाली बातचीत के मद्देनजर ही शुल्क वृद्धि लागू करने की तारीख चार अगस्त रखी गई है।

सूत्र बताते हैं कि बैठक अगर सकारात्मक रुख पर खत्म होती है और अमेरिका अपने यहां आयात शुल्क में हुई वृद्धि को वापस लेने के संकेत देता है तो भारत भी शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव पर अमल रोक सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक शुल्क वृद्धि लागू होने में एक महीने से अधिक का वक्त है। इसलिए दोनों देशों के बीच सहमति बनने की पर्याप्त संभावनाएं हैं।


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