IMF ने किया आगाह, सदी की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है दुनिया
IMF को अंदेशा है कि इस वर्ष ग्लोबल इकोनॉमी पिछली एक सदी की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के कुचक्र में फंसने की ओर जाती दिख रही है।
वाशिंगटन, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF को अंदेशा है कि इस वर्ष ग्लोबल इकोनॉमी पिछली एक सदी की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी के कुचक्र में फंसने की ओर जाती दिख रही है। आइएमएफ की एमडी क्रिस्टलिना जॉर्जिवा ने गुरुवार को कहा कि कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष 170 से ज्यादा देशों की प्रति व्यक्ति आय में नकारात्मक वृद्धि होने की आशंका है। उनके मुताबिक कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष की ग्लोबल आर्थिक मंदी वर्ष 1929 की महामंदी के बाद सबसे खतरनाक हो सकती है।
IMF और World Bank की अगले सप्ताह महत्वपूर्ण बैठक से पहले ‘संकट से मुकाबला : ग्लोबल इकोनॉमी की प्राथमिकताएं’ विषय पर बोलते हुए जॉर्जिवा ने कहा कि इस वक्त दुनिया अपनी सबसे गंभीर चुनौती से जूझ रही है। कोविड-19 ने सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं पर जैसा वज्रपात किया है, वैसा हमने इससे पहले कभी नहीं देखा था। उनके मुताबिक इस वायरस के चलते दसों हजार लोगों की जान जा चुकी है और इससे बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित है। गौरतलब है कि वर्ष 1929 की महामंदी 10 वषों तक रही थी।
भारत की विकास दर 4.8 फीसद रहने की उम्मीद
एक तरफ जब वैश्विक एजेंसियां दुनियाभर की इकोनॉमी पर कोरोना को लेकर बड़ी चोट की बात कह रही हैं, संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में भी भारतीय की अर्थव्यवस्था 4.8 प्रतिशत की दर से विकास करेगी। संस्था ने बीते वित्त वर्ष के लिए भारत के पांच प्रतिशत की दर से विकास करने का अनुमान लगाया था।
संयुक्त राष्ट्र ने ‘इकोनॉमिक एंड सोशल सर्वे ऑफ एशिया एंड द पैसिफिक (एस्केप) 2020 : टुवाडर्स सस्टेनेबल इकोनॉमीज’ में कहा कि इस क्षेत्र में कोविड-19 के आर्थिक और सामाजिक असर कहीं अधिक मारक होंगे। कोविड-19 के चलते इस क्षेत्र में कारोबार, पर्यटन और वित्तीय संबंधें पर बेहद बुरा असर पड़ने वाला है।