IMF ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 4.8 फीसद किया, 2021 में 6.5 फीसद की संभावना
IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि
नई दिल्ली, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने 2019 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 4.8 फीसद कर दिया है। ग्रामीण भारत में आय वृद्धि कमजोर रहने और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों में दबाव का हवाला देते हुए वृद्धि अनुमान को कम किया गया है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का सालाना शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में जानकारी देते हुए आईएमएफ ने वैश्विक वृद्धि दर के साथ साथ भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में बदलाव की जानकारी दी है।
मुद्राकोष के मुताबिक, 2019 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 4.8 फीसद, 2020 में 5.8 फीसद और 2021 में 6.5 फीसद रह सकती है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी और ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है। बता दें कि गीता गोपीनाथ का जन्म भारत में हुआ है। चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2020 में 0.2 फीसद बढ़कर 6 फीसद रहने का अनुमान है।
मुद्राकोष ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है। इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है। आईएमएफ ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में कम होकर 4.8 फीसद रहने का अनुमान है। हालांकि 2020 और 2021 में यह सुधरकर क्रमश: 5.8 फीसद और 6.5 फीसद रह सकती है। मुद्राकोष के अक्टूबर में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के पूर्व अनुमान के मुकाबले यह आंकड़ा क्रमश: 1.2 फीसद और 0.9 फीसद कम है।
गोपीनाथ ने बताया कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है। इसका कारण यह अर्जेन्टीना, ईरान और तुर्की जैसी दबाव वाली अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि परिणाम और ब्राजील, भारत और मेक्सिको जैसे उभरते और क्षमता से कम प्रदर्शन कर रहे विकासशील देशों की स्थिति पर निर्भर है।