इस साल सुस्त ही रहेगी अर्थव्यवस्था
सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के मनमोहन सरकार भले ही लाख दावे और कोशिश करे मगर उसके प्रयासों पर निवेशकों का भरोसा जम नहीं पा रहा है। कारोबारी विश्वास और संरचनात्मक सुधारों में कमी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष [आइएमएफ] ने देश के विकास दर अनुमान में एक फीसद से ज्यादा की कटौती कर दी है। अब संगठन ने 201
वाशिंगटन। सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के मनमोहन सरकार भले ही लाख दावे और कोशिश करे मगर उसके प्रयासों पर निवेशकों का भरोसा जम नहीं पा रहा है। कारोबारी विश्वास और संरचनात्मक सुधारों में कमी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष [आइएमएफ] ने देश के विकास दर अनुमान में एक फीसद से ज्यादा की कटौती कर दी है। अब संगठन ने 2012 में अर्थव्यवस्था के 4.9 फीसद की दर से वृद्धि करने की संभावना जताई है। यह अब तक के अनुमानों में सबसे कम है। इससे पहले जुलाई में आइएमएफ ने 6.1 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया था।
मुद्राकोष ने मंगलवार को टोक्यो में 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक' [डब्ल्यूईओ] की ताजा रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया है कि भारत का परिदृश्य खराब हुआ है और जोखिम बढ़ा है। गवर्नेस मसले और लालफीताशाही के कारण निवेश प्रभावित हो रहा है। इसके चलते कारोबारी भरोसे में कमी आई है। नई परियोजनाओं को मंजूरी देने में देरी, संरचनात्मक सुधारों का अभाव, ऊंची महंगाई के कारण मौद्रिक नीति में सख्ती और विदेशी मांग घटने जैसे कई कारण हैं जिससे विकास दर पर दबाव बना हुआ है। बढ़ता राजकोषीय व चालू खाते का घाटा और डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर ब्रेक लगा रहा है।
आइएमएफ का कहना है कि वर्ष 2012 की पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में विकास दर में ज्यादा गिरावट की आशंका है। संगठन ने 2013 के विकास अनुमान को भी 6.5 फीसद से घटाकर छह फीसद कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल परिस्थिति में सुधार और सरकार द्वारा हाल में आर्थिक सुधार के लिए की गई घोषणा से बने माहौल के कारण 2013 में विकास दर में चालू वर्ष के मुकाबले तेजी आएगी। वर्ष 2011-12 में देश की विकास दर 6.8 फीसद रही थी।
ग्लोबल मंदी का खतरा बरकरार
अपनी रिपोर्ट में मुद्राकोष ने ग्लोबल मंदी के आगे भी जारी रहने की आशंका जताई है। इसे देखते हुए वैश्विक विकास दर के 2012 में 3.3 फीसद और 2013 में 3.6 फीसद रहने का संगठन ने अनुमान लगाया है। वहीं एशिया की वृद्धि दर 2012 में 6.7 फीसद रहने की संभावना है। इसका अगुआ चीन रहेगा। विकसित देशों की वृद्धि दर इस वर्ष 1.3 फीसद रहने की संभावना है। सरकारी खर्च में कटौती को संगठन ने इसका प्रमुख कारण बताया है। रिपोर्ट में कुल वैश्विक व्यापार की वृद्धि दर भी घटकर 3.2 फीसद रहने की उम्मीद जताई गई है। यह पिछले साल 5.8 फीसद और 2010 में 12.6 फीसद थी।