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IMF को दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में रिकवरी को लेकर नजर आ रही अनिश्चितताः गीता गोपीनाथ

IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गोपीनाथ ने कहा कि पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर लंबे समय तक इस वायरस का असर देखने को मिलेगा जो चिंता की बात है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 12:10 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 07:19 AM (IST)
IMF को दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में रिकवरी को लेकर नजर आ रही अनिश्चितताः गीता गोपीनाथ
IMF को दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में रिकवरी को लेकर नजर आ रही अनिश्चितताः गीता गोपीनाथ

वाशिंगटन, रायटर। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने पूर्व के अनुमान से भी अधिक संकुचन की बात कह सकता है क्योंकि संगठन को आर्थिक रिकवरी को लेकर बहुत अधिक अनिश्चितता नजर आ रही है। IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने एक ब्लॉग में यह बात कही है। गोपीनाथ ने कहा है कि नोवल कोरोनावायरस महामारी की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट का अधिक व्यापक असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है और यह पहले के संकट से अलग नजर आ रहा है। उन्होंने कहा है कि विकसित और उभरते हुए बाजारों में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से ज्यादा असर सर्विस सेक्टर पर देखने को मिला है और सभी जगहों पर महंगाई दर में कमी आई है। 

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उन्होंने वित्तीय बाजारों में बहुत अधिक विचलन की बात भी कही है। साथ ही वित्तीय बाजारों में काफी उतार-चढ़ाव और भारी गिरावट की आशंका भी जाहिर की है। 

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IMF 24 जून को अपने 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक' को अपडेट करेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जियोर्जिवा ने पिछले महीने कहा था कि IMF 2020 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 3 फीसद के संकुचन के अपने पूर्वानुमान को डाउनग्रेड कर सकता है लेकिन उन्होंने कोई विवरण नहीं दिया था।  

गोपीनाथ ने कहा कि कई देशों में शुरुआती रिवकरी के संकेत देखने को मिल रहे हैं लेकिन संक्रमण के नए सिरे से तेजी से फैलने और लॉकडाउन को दोबारा लागू किए जाने से रिकवरी को लेकर जोखिम बना हुआ है।  

उन्होंने कहा कि विकसित देशों में बड़े पैमाने पर राजकोषीय नीतिगतग उपाय किए गए हैं लेकिन गरीब देशों के पास सीमित संसाधन हैं और असंगिठत क्षेत्र को अब तक पर्याप्त मदद नहीं मिल सकी है। 

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गोपीनाथ ने कहा कि पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं पर लंबे समय तक इसका असर देखने को मिलेगा, जो चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि सरकारों को ऐसी नीति लानी चाहिए, जिसके तहत संकुचन वाले सेक्टर्स से कर्मचारियों को मजबूत सेक्टर्स की तरफ ले जाने में मदद मिले। 


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