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IL&FS Crisis: DEA ने डेढ़ साल पहले दे दिए थे इसके संकेत, हलफनामे से हुआ खुलासा

ILFS Crisis कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट टिब्यूनल (NCLAT) में एक हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 09:29 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 10:36 AM (IST)
IL&FS Crisis: DEA ने डेढ़ साल पहले दे दिए थे इसके संकेत, हलफनामे से हुआ खुलासा
IL&FS Crisis: DEA ने डेढ़ साल पहले दे दिए थे इसके संकेत, हलफनामे से हुआ खुलासा

नई दिल्ली, पीटीआइ। कर्ज के बोझ तले दबे इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) ग्रुप और उसकी कंपनियों पर संकट का अंदेशा आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) ने करीब डेढ़ वर्ष पहले जता दिया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट टिब्यूनल (NCLAT) में एक हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है। हलफनामे में कहा गया है कि डीईए ने 30 सितंबर, 2018 को ही एक गोपनीय पत्र में आइएलएंडएफएस के संभावित पतन और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसके नकारात्मक असर के बारे में आशंका जाहिर की थी।

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गोपनीय पत्र के मुताबिक डीईए का कहना था कि अगर आइएलएंडएफएस ग्रुप का पतन होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट पहुंचेगी। एक तरफ भुगतान की समस्या बढ़ेगी और डेट-मार्केट में बिक्री का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसके अलावा बाजार में पूंजी उपलब्धता की कमी होगी और कई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) का लाइसेंस रद करने की नौबत आ सकती है।

एमसीए ने कहा कि डीईए द्वारा यह चिंता जाहिर करने के तुरंत बाद एमसीए ने नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) से आइएलएंडएफएस के प्रबंधन को अपने हाथ में लेने का आग्रह किया था। इसकी वजह यह थी कि ग्रुप और उसकी कंपनियों पर 91,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। डीईए की चिंता यह थी कि संपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) ने आइएलएंडएफएस ग्रुप कंपनियों को करीब 2,800 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा था। इन कंपनियों के कॉरपोरेट ग्राहक आइएलएंडएफएस ग्रुप कंपनियों के बांड्स को भुनाने की जिद कर सकते थे। लेकिन किसी भी म्युचुअल फंड योजना के लिए कम समय में ऐसे बांड्स का भुगतान करना संभव नहीं था।

हलफनामे के मुताबिक आइएलएफएस ग्रुप कंपनियों पर इस वर्ष जनवरी के आखिर में कुल 94,215 करोड़ रुपये का कर्ज था। इनमें से 10,173 करोड़ रुपये पेंशन फंड्स, प्रोविडेंट फंड्स, इंप्लॉई वेलफेयर फंड्स, ग्रैच्युटी फंड्स और आर्मी ग्रुप इंश्योरेंस फंड्स जैसे सरकारी फंड कर्जदाताओं का है। वहीं, कर्ज में कॉमर्शियल बैंकों की हिस्सेदारी 44,075 करोड़ रुपये के साथ 47 प्रतिशत है। 

हलफनामे में कहा गया है कि कुल कर्ज में करीब 51 फीसद हिस्सेदारी आइएलएंडएफएस ग्रुप की सिर्फ चार बड़ी इकाइयों आइएलएंडएफएस, आइएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज (आइफिन), आइएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क्‍स लिमिटेड (आइटीएनएल) तथा आइएलएंडएफएस एनर्जी डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (आइईडीसीएल) की है।


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