आइएलएंडएफएस देनदारियों के भुगतान में सक्षम नहीं, चाहिए तुरंत मदद : बोर्ड
कंपनी के नए प्रबंधन ने सरकार को बताया है कि उसके लिए देनदारियों का भुगतान करना बेहद मुश्किल हो गया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्तीय मुसीबत में फंसी गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी) इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफएस) लिमिटेड की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। कंपनी के नए प्रबंधन ने सरकार को बताया है कि उसके लिए देनदारियों का भुगतान करना बेहद मुश्किल हो गया है। ऐसे में अब सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की तरफ से मिलने वाली अतिरिक्त वित्तीय मदद का ही आसरा है। दूसरी तरफ, आइएलएंडएफएस के संकट पर रिपोर्ट तैयार करने वाले कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने कहा है कि इस तरह के बिजनेस मॉडल पर काम कर रही कुछ दूसरी एनबीएफसी भी भारी मुसीबत में फंस सकती हैं। ऐसे में सरकार को इन सभी को बचाने का रास्ता निकालना चाहिए।
एमसीए के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि आइएलएंडएफएस की तरह चलने वाली कई अन्य एनबीएफसी भी फंड की भारी दिक्कत से जूझ रही हैं। इनमें खासतौर पर हाउसिंग फाइनेंस से जुड़ी कंपनियां हैं, जिन्हें फंड जुटाने में समस्या हो रही है। ऐसे में आइएलएंडएफएस के बिजनेस मॉडल पर ही पुनर्विचार करने की जरूरत है। यह मॉडल टिकाऊ नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी जो समस्या है वह दूर की जा सकती है। इसे भारी संकट के तौर पर चिन्हित नहीं किया जाना चाहिए। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ आइएलएंडएफएस की समस्या के भावी समाधान के बारे में श्रीनिवास की बात हुई है। एमसीए की नजर में इस कंपनी को समग्र तौर पर बेचने का विकल्प ज्यादा उपयुक्त है।
उधर, आइएलएंडएफएस के नए प्रबंधन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वित्त मंत्रालय को एक बार फिर बताया गया है कि पिछले एक महीने के दौरान कंपनी का वित्तीय संकट और बढ़ा है। कंपनी की तरफ से कई देनदारियों का भुगतान नहीं किया जा सका है। अतिरिक्त वित्तीय संसाधन मिले बगैर इनका भुगतान होना मुश्किल है। इसके लिए नये प्रबंधन की भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) के साथ सोमवार को भी कई दौर की बातचीत हुई है। मंगलवार को इनकी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के साथ भी बैठक है। आइएलएंडएफएस की वित्तीय मदद से दर्जनों राजमार्ग परियोजनाओं पर काम चल रहा है। एक विकल्प यह है कि इनमें से कुछ परियोजनाओं को एनएचएआइ को हस्तांतरित किया जाए। इससे तत्काल कुछ अतिरिक्त वित्तीय मदद का इंतजाम हो जाएगा।