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IL&FS के पास है 5,300 करोड़ रुपये का नकदी भंडार, कैश बचाने की रणनीति पर कर रही काम

अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में कंपनी ने यह भी कहा कि ILFS ग्रुप कंपनियों से अलग इकाइयों को दिए 1200 करोड़ रुपये तक के कर्ज की इस अवधि के दौरान वसूली हो चुकी है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 08:44 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 08:44 AM (IST)
IL&FS के पास है 5,300 करोड़ रुपये का नकदी भंडार, कैश बचाने की रणनीति पर कर रही काम
IL&FS के पास है 5,300 करोड़ रुपये का नकदी भंडार, कैश बचाने की रणनीति पर कर रही काम

नई दिल्ली, आइएएनएस। अपने कर्जो के भुगतान में विफल रहने का सिलसिला शुरू होने के एक वर्ष बाद इस वक्त आइएलएंडएफएस ग्रुप के पास 5,300 करोड़ रुपये से अधिक का नकदी भंडार है। इसी सप्ताह जारी रिपोर्ट में इस गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (एनबीएफसी) ने कहा कि दिग्गज बैंकर उदय कोटक के नेतृत्व में कंपनी का बोर्ड अधिक से अधिक कैश सुरक्षित रखने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसी के तहत पिछले कुछ समय के दौरान कंपनी के नकदी भंडार में खासा इजाफा हुआ है। इस सप्ताह मंगलवार को कंपनी ने कहा था कि सरकार ने कोटक का कार्यकाल अगले एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया है। कोटक ने कहा कि ग्रुप पर करीब 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और इसमें से ग्रुप करीब आधे कर्ज की वसूली की उम्मीद कर रहा है।

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कंपनी के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 के अंत में कंपनी का नकदी भंडार महज 2,400 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा था। अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में कंपनी ने कहा कि नकद भंडार बढ़ाने की संस्कृति के निर्माण के तहत पिछले कुछ समय में कंपनी के कैश रिजर्व में बड़ी बढ़ोतरी हुई है और इस वर्ष अगस्त के अंत में उसका रिजर्व 5,300 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है।

अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में कंपनी ने यह भी कहा कि आइएलएफएस ग्रुप कंपनियों से अलग इकाइयों को दिए 1,200 करोड़ रुपये तक के कर्ज की इस अवधि के दौरान वसूली हो चुकी है। कंपनी अपने खर्च पर काबू पा चुकी है और वेतन के मद में उसका खर्च 45 फीसद घट गया है। आइएलएंडएफएस ग्रुप की सभी 302 कंपनियों के लिए कर्ज पुनर्गठन योजना बन चुकी है और 36,400 करोड़ रुपये के कर्ज का समाधान भी हो गया है। कुल 5,100 करोड़ रुपये कर्ज वाली तीन कंपनियों के कर्ज का सफलतापूर्वक पुनर्गठन हो गया है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष कर्ज पर डिफॉल्ट होने के बाद कंपनी में घोटाले की परतें एक के बाद एक खुलने लगी थीं, जिसने एनबीएफसी सेक्टर दबाव में आ गया।

इस तरह के हैं आरोप

आइएलएंडएफएस ग्रुप के घोटाले की एक जांच से पता चला कि समूह के पूर्व प्रबध्ांन ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों और उनके पारिवारिक सदस्यों को जमकर तोहफे बांटे थे। इन तोहफों में रियल मैडिड फुटबॉल मैच के टिकट से लेकर महंगे विला पर भारी-भरकम छूट और फिटबिट ब्रांड की महंगी घड़ियां व शर्ट्स तक शामिल हैं। समूह में हुए घपलों की चल रही जांच के कारण दो रेटिंग एजेंसियों के बोर्ड ने अपने सीईओ को पहले ही अवकाश पर भेज दिया। रेटिंग एजेंसियों की फॉरेंसिक जांच से कुछ नए सबूत मिले, जिनसे यह संदेह पैदा हुआ कि समूह के पूर्व प्रबंधन ने ऊंची क्रेडिट रेटिंग हासिल करने के लिए रेटिंग एजेंसियों और उनके वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश की थी।

ग्रांट थॉर्न्टन ने सौंपी थी रिपोर्ट

आइएलएंडएफएस के नए बोर्ड ने समूह के लिए पहले काम कर चुकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की फॉरेंसिक ऑडिट करने की जिम्मेदारी ग्रांट थॉन्र्टन को सौंपी थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों और उनके परिवारजनों को तोहफे दिए जाने के अनेक मामलों का उल्लेख किया है। ऑडिट में आइएलएंडएफएस के पूर्व प्रबंधन और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के प्रतिनिधियों के बीच निर्धारित अवधि में हुए ई-मेल संवादों का विश्लेषण किया गया। निर्धारित अवधि में केयर, इकरा, इंडिया रेटिंग्स और ब्रिकवर्क जैसी दिग्गज एजेंसियां आइएलएंडएफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क (आइटीएनएल), आइएलएंडएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएफआइएन) और आइएलएंडएफएस की प्रमुख रेटिंग एजेंसियां थीं।


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