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E-Wallet से पैसों के लेनदेन पर देना होगा टैक्‍स? जानिए क्‍या हैं इसके नियम

सैलरी के अलावा मिलने वाला अमाउंट जैसे ई-वॉलेट में पैसा मिलना कैशबैक गिफ्ट वाउचर गिफ्ट बैंक सेविंग और एफडी पर ब्याज म्युचुअल फंड गेन आदि टैक्स के अंतर्गत आता है या नहीं

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 12:04 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 06:01 PM (IST)
E-Wallet से पैसों के लेनदेन पर देना होगा टैक्‍स? जानिए क्‍या हैं इसके नियम
E-Wallet से पैसों के लेनदेन पर देना होगा टैक्‍स? जानिए क्‍या हैं इसके नियम

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का समय नजदीक आ रहा है। इस वक्त यह जानना जरूरी है कि सैलरी के अलावा मिलने वाले किन-किन पैसों पर टैक्‍स लगता है। सैलरी के अलावा मिलने वाला अमाउंट जैसे ई-वॉलेट में पैसा मिलना, कैशबैक, गिफ्ट वाउचर, गिफ्ट, बैंक सेविंग और एफडी पर ब्याज, म्युचुअल फंड गेन आदि टैक्स के अंतर्गत आता है या नहीं और अगर आता है तो उनका मूल्यांकन कैसे किया जाएगा और टैक्स कैसे दिया जाएगा।

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1. ई-वॉलेट में पैसे आना

ई-वॉलेट और यूपीआई के जरिए अपने फोन से पैसे भेजना और प्राप्त करना आसान हो गया है। मान लीजिए कि अपने दोस्तों के साथ एक रेस्टोरेंट में हैं और आपने पूरा बिल दिया उसके बाद आपके सभी दोस्त आपको एक ऐप या यूपीआई के जरिए पैसा वापस करते हैं तो क्या ऐसे मिलने वाला पैसा आपके रिटर्न में दिखाने की जरूरत है। इस तरह के पैसे को 50 हजार रुपये तक एक वित्त वर्ष में गिफ्ट के तौर पर माना जाता है और इस पर गिफ्ट टैक्स के तहत छूट मिलती है। अगर दोस्तों के बीच अधिक पैसा ट्रांसफर किया जाता है तो पूरा पैसा टैक्स में आता है। अगर इस तरह का पैसा आपकी तरफ से दिए हुए कर्ज का वापसी है तो इस पर टैक्स देने की जरूरत नहीं है। अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से आपके अकाउंट की जांच की जाती है तो आप अपने देनदारों से इसके लिए लिखित में ले सकते हैं।

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2. कैशबैक रिवार्ड्स

आज के समय में ई-कॉमर्स सर्विस से डिजिटल पेमेंट ऐप के जरिए या क्रेडिट कार्ड के जरिए पेमेंट करने पर कैशबैक मिलता है। मान लीजिए एक ऐप के जरिए आपने 500 रुपये का खाना ऑर्डर किया और कैशबैक के रूप में 50 रुपये मिले और कैशबैक का पैसा ई-वॉलेट या आपके क्रेडिट कार्ड से जुड़े बैंक अकाउंट में जमा हो जाता है तो क्या यह कैशबैक एक इनकम में माना जाएगा और इसको रिटर्न दाखिल करते वक्त दिखाना चाहिए। अगर इस तरह की इनकम 50 हजार रुपये से अधिक है तो आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) के तहत गिफ्ट टैक्स में आएगी। इस तरह की आय 50 हजार तक टैक्स फ्री है।

3. गिफ्ट वाउचर या गिफ्ट

अगर आपका नियोक्ता आपको 5 हजार तक गिफ्ट वाउचर देता है तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन ऐसा गिफ्ट 5,000 रुपये से अधिक है तो यह आयकर नियम-3 (7) (iv)के तहत टैक्स में आएगा। हालांकि एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मित्रों और परिवार से मिलने वाले गिफ्ट इनकम फ्रॉम अदर सोर्स से टैक्स में आता है।

4. बैंक सेविंग अकाउंट और एफडी से मिलने वाला ब्याज

एक वित्त वर्ष में सेविंग अकाउंट से मिलने वाला ब्याज अगर 10,000 रुपये तक है तो उसपर आय धारा 80 टीटीए के तहत ककोई टैक्स नहीं लगेगा। इसी प्रकार आरडी और एफडी से मिलने वाला ब्याज इनकम फ्रॉम अदर सोर्स के जरिए टैक्स में आएगी। वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक की एफडी पर प्राप्त ब्याज टैक्स फ्री है।

5. म्युचुअल फंड गेन

म्युचुअल फंड निवेश में बेनिफिट पर टैक्स नेचर और कार्यकाल पर निर्भर करता है। इक्विटी-ओरिएंटिड म्युचुअल फंड में 1 वर्ष से अधिक का निवेश दीर्घकालिक निवेश है और इस पर टैक्स एलटीसीजी के तहत लगेगा। निवेश की अवधि एक वर्ष से कम है तो इसे अल्पकालिक निवेश कहेंगे और इस पर STCG के तहत टैक्स लेगगा। LTCG पर एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक पर 10 फीसद टैक्स लगेगा, वहीं एसटीसीजी पर 15 फीसद की दर से टैक्स लगेगा। 

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