आइडिया-वोडाफोन के विलय को कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से मिली मंजूरी
विलय के बाद देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम बनेगी, दोनों कंपनियों के मोबाइल उपभोक्ताओं की संयुक्त संख्या 40 करोड़
नई दिल्ली (बिजनेस न्यूज)। नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) ने आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन के बीच विलय को मंजूरी दे दी है। यह दोनों दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों के एकीकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
आइडिया सेल्युलर ने रेगुलेटरी फाइलिंग में जानकारी दी कि टिब्यूनल की अहमदाबाद बेंच ने 11 जनवरी को विलय की योजना को मंजूरी दे दी। इसी तरह के वोडाफोन के आवेदन पर एनसीएलटी से मंजूरी मिलने के बाद दोनों कंपनियां अंतिम मंजूरी के लिए दूरसंचार विभाग में आवेदन कर सकेंगी।
दोनों कंपनियों के विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली नई कंपनी में वोडाफोन इंडिया की 47.5 फीसद हिस्सेदारी हो सकती है। बाकी हिस्सेदारी आइडिया के प्रमोटर आदित्य बिरला समूह के पास रहेगी। टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक दोनों कंपनियों के मोबाइल ग्राहकों की कुल संख्या 40 करोड़ के ऊपर है। विलय के बाद बनने वाली कंपनी देश की सबसे बड़ा टेलीकॉम कंपनी होगी। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार विलय के बाद कंपनी का कुल सालाना राजस्व 77,500 से 80,000 करोड़ रुपये के बीच होगा। स्पेक्ट्रम और इन्फ्रास्ट्रक्चर में पूंजीगत व्यय का दोहराव रुकेगा।
वोडाफोन इंडिया के सात सर्किलों में और आइडिया के दो सर्किलों में स्पेक्ट्रम का परमिट 2021-22 में समाप्त हो रहा है। इन दोनों सर्किलों में उनके स्पेक्ट्रम की कुल कीमत ताजा नीलामी के अनुसार करीब 12 हजार करोड़ रुपये है। दोनों कंपनियों के ये परमिट अलग-अलग सर्किलों में हैं। इस तरह उन कंपनियों को स्पेक्ट्रम पर पूंजीगत व्यय में भी बचत होगी।
गुजरात एनआरई कोक को बंद करने का आदेश
नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल की स्थानीय बेंच ने गुजरात एनआरई कोक को इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के सेक्शन 14 के तहत बंद करने का आदेश दिया है। टिब्यूनल के आदेश के अनुसार लिक्विडेटर (कंपनी को समाप्त करने वाला अधिकारी) को कंपनी बंद करने का प्रयास करना चाहिए। आदेश जारी होने के तीन महीने के भीतर कंपनी की परिसंपत्तियां बेचनी होगी। उनका रिजर्व मूल्य कंपनी पर बाकी ब्याज समेत कर्ज की राशि के बराबर होगा। कंपनी पर बैंकों का 4600 करोड़ रुपये कर्ज बाकी है। वर्ष 2016-17 के दौरान कंपनी ने 541 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करके 676 करोड़ रुपये का घाटा उठाया था। इस कंपनी में करीब 1100 कर्मचारी कार्यरत हैं। कोलकाता की कंपनी निको कॉरपोरेशन को इससे पहले बंद करने का आदेश दिया गया था।