20 बैंकों ने मिलकर दिया था वीडियोकॉन को कर्ज: ICICI बैंक
वीडियोकॉन को 20 बैंकों के कंसोर्टियम ने कर्ज दिया है, जिसमें आसीआइसीआइ बैंक का हिस्सा सिर्फ 10 फीसद था
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश के बैंकिंग क्षेत्र में घोटाले सामने आने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा। इस कड़ी में आसीआइसीआइ बैंक का नाम सामने आया है। हालांकि इस आरोप के बारे में बैंक का कहना कि वह वीडियोकॉन को कर्ज देने वाला इकलौता बैंक नहीं है। इस कंपनी को 20 बैंकों के कंसोर्टियम ने कर्ज दिया है, जिसमें उसका हिस्सा सिर्फ 10 फीसद था।
वीडियोकॉन को 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज देने का यह प्रस्ताव अप्रैल 2012 में पारित किया गया था। बैंक के अनुसार जिस समिति ने वीडियोकॉन को कर्ज देने का फैसला किया था, उसमें चंदा कोचर शामिल नहीं थी। बैंक ने इस बारे में बयान अपने निदेशक बोर्ड की बैठक के बाद जारी किया। बोर्ड ने चंदा कोचर पर पूरा भरोसा जताया है। कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं। बैंक के चेयरमैन एम. के. शर्मा ने भी एक बयान जारी करके कोचर का बचाव किया है। उनका कहना है कि कर्ज मंजूरी प्रक्रिया की आंतरिक समीक्षा में बैंक को कोई गड़बड़ी नहीं मिली।
दो माह में 24 हजार करोड़ के घोटाले उजागर:
बैंकिंग क्षेत्र में हाल में एक दर्जन के करीब घोटाले सामने आये हैं। सरकारी क्षेत्र का शायद ही कोई ऐसा बैंक है, जो सीबीआइ की जांच में न फंसा हो। निश्चित तौर पर सबसे ऊपर पीएनबी में उद्योगपति नीरव मोदी का घोटाला है जिससे बैंक को 13,640 करोड़ का चूना लगा।
इसके बाद एक्सिस बैंक में सामने आया 4000 करोड़ रुपये का घोटाला है। रोटोमैक के 3600 करोड़ के घोटाले का भी पर्दाफाश हुआ है। चेन्नई की कंपनी टोटेम की तरफ से सरकारी बैंकों को 1394 करोड़ का घोटाला, आइडीबीआइ में 772 करोड़ का घोटाला, कनिष्क ज्वैलेरी की तरफ से किया गया 824 करोड़ का फ्रॉड का पर्दाफाश भी हाल के हफ्तों में हुआ है।
सिर्फ उक्त छह घोटालों से ही बैंकों को 23,640 करोड़ का चूना लग चुका है। यह राशि कितनी बड़ी है, इसका अनुमान वित्त मंत्रलय द्वारा संसद में पेश आंकड़ों से पता चलती है। वित्त मंत्रलय ने बताया है कि वर्ष 2016-17 में बैंकों में कुल 12,094 करोड़ रुपये का फ्रॉड हुआ था। अगर पिछले पांच वर्षो की बात करें (अप्रैल, 2013 से 22 फरवरी, 2018) तो इन बैंकों में 13,643 फ्रॉड के मामले सामने आये।
इसमें 52,717 करोड़ की राशि की चपत इन बैंकों को लगी। सरकारी आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जितनी राशि का घोटाला होता है, उसका बहुत ही कम हिस्सा बैंक वसूल पाते हैं। पिछले वर्ष 12,094 करोड़ रुपये के फ्रॉड सामने आये, इनमें से महज 754.1 करोड़ रुपये की वसूली हो पाई।