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HPCL-MRPL विलय पर खड़ा हुआ संकट, नकद सौदा चाह रही है ONGC

ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओएनजीसी) जो कि देश की सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनी है ने पिछले साल 36915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2019 08:51 AM (IST)
HPCL-MRPL विलय पर खड़ा हुआ संकट, नकद सौदा चाह रही है ONGC
HPCL-MRPL विलय पर खड़ा हुआ संकट, नकद सौदा चाह रही है ONGC

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। मंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड (एमआरपीएल) के अधिग्रहण की हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की योजना पर नकदी संबंधित गतिरोध खड़ा हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी मूल कंपनी ओएनजीसी शेयरों की अदला-बदली के बजाए नकद राशि में यह सौदा चाहती है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।

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ऑयल एंड नेचुरल गैस कार्पोरेशन (ओएनजीसी), जो कि देश की सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनी है ने पिछले साल 36,915 करोड़ रुपये में एचपीसीएल का अधिग्रहण किया था। इस अधिग्रहण के बाद ओएनजीसी की रिफाइनिंग से जुड़ी सहायक कंपनियों की संख्या बढ़कर एक से दो हो गई- एचपीसीएल और एमआरपीएल।

तब से परिचालन संबंधी तालमेल का हवाला देते हुए एचपीसीएल के साथ एमआरपीएल के विलय की कोशिशों में तेजी आई है। एचपीसीएल इस विलय सौदे को नकद राशि एवं शेयरों की अदला-बदली के मिले जुले लेनदेन से करना चाहती है। इस अधिग्रहण के बाद एचपीसीएल भारत की तीसरी सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कंपनी बन जाएगी। हालांकि ओएनजीसी इस सौदे को नकद लेनदेन के आधार पर ही करना चाहती है क्योंकि एचपीसीएल के शेयरों में गिरावट का रुख है।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि ओएनजीसी ने जनवरी 2018 में एचपीसीएल में सरकार की 51.11 फीसद हिस्सेदारी 473.97 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से हासिल की थी। सूत्रों के मुताबिक एचपीसीएल ने अब तक एमआरपीएल के अधिग्रहण के लिए कोई ठोस योजना पेश नहीं की है।


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