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75 फीसद भारतीय परिवारों की आय 5000 रुपये से कम

बारह पंचवर्षीय योजनाओं में लाखों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी ग्रामीण घनघोर गरीबी में जीने को मजबूर हैं। हालत यह है कि ग्रामीण भारत के 75 फीसद यानी 13.34 करोड़ परिवारों की मासिक आय पांच हजार रुपये से भी कम है। गांवों में दस हजार से अधिक की

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 10:26 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 10:35 AM (IST)
75 फीसद भारतीय परिवारों की आय 5000 रुपये से कम

नीलू रंजन, नई दिल्ली। बारह पंचवर्षीय योजनाओं में लाखों करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी ग्रामीण घनघोर गरीबी में जीने को मजबूर हैं। हालत यह है कि ग्रामीण भारत के 75 फीसद यानी 13.34 करोड़ परिवारों की मासिक आय पांच हजार रुपये से भी कम है। गांवों में दस हजार से अधिक की आमदनी वाले परिवार लगभग आठ फीसद ही हैं। सामाजिक, आर्थिक व जातिगत जनगणना के ताजा आंकड़ों ने ग्रामीण विकास के लिए दशकों से चलाई जा रही सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की पोल भी खोल दी है।

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बृहस्पतिवार को जारी सामाजिक, आर्थिक व जातिगत जनगणना रिपोर्ट-2011 के अनुसार देश में कुल 24.39 करोड़ परिवारों में 17.91 ग्रामीण भारत से आते हैं। इसमें तीन-चौथाई ग्रामीण परिवार आज भी 5000 रुपये महीना से कम पर गुजारा करने को मजबूर हैं। गरीबी की सबसे अधिक मार पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के ग्रामीण इलाकों में है। यहां 78 फीसद परिवारों की मासिक आमदनी 5000 रुपये से कम है।

खनिज संपदा से संपन्न छत्तीसगढ़ में केवल छह फीसदी ग्रामीण परिवारों की आमदनी 5000 से 10000 रुपये महीना के बीच है। सिंचाई में बेहतर सुविधाओं वाले उत्तरी भारत के ग्रामीण इलाकों में 5000 से कम मासिक आमदनी वाले परिवार लगभग 60 फीसद हैं। इसी तरह सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में आने वाले दिल्ली और चंडीगढ़ के ग्रामीण इलाके तुलनात्मक रूप से ज्यादा खुशहाल कहे जा सकते हैं। वैसे यहां भी 35 फीसद परिवार ऐसे हैं, जो 5000 रुपये से कम की मासिक आमदनी पर गुजारा करते हैं।

दक्षिण के राज्यों के ग्रामीण इलाकों में 75 फीसद से अधिक आबादी को 5000 रुपये मासिक से कम पर गुजारा करना होता है। पूवरेत्तर भारत के भी ग्रामीण इलाकों में औसतन 76 फीसद परिवार ऐसी श्रेणी में आते हैं।

भारत की अर्थव्यवस्था बढ़कर दो ट्रिलियन डॉलर

भारत की अर्थव्यवस्था अब दो ट्रिलियन (20 खरब) डॉलर की हो गई है। भारतीय मुद्रा में यह राशि करीब 1,26,800 अरब रुपये बैठती है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल सात साल में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था में एक टिलियन डॉलर यानी लगभग 63,400 अरब रुपये जोड़ लिए हैं। लेकिन देश की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का फायदा सभी तबकों को नहीं मिल पाया है। फिलहाल भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 2.0 टिलियन डॉलर है। इसके बावजूद भारत अब भी निम्न मध्य आय वर्ग वाला देश है। यहां सालाना प्रति व्यक्ति आय करीब 1,01,430 रुपये (1,610 डॉलर) है। भारत इस साल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। अमेरिका 18.4 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत इस सूची में नौवें स्थान पर है।

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