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High Court ने बंपर-टू-बंपर बीमा लागू करने का आदेश लिया वापस, ये है बड़ी वजह

न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने कहा अदालत को लगता है कि इस साल 4 अगस्त को पैराग्राफ 13 में जारी निर्देश मौजूदा स्थिति में लागू करने के लिए अनुकूल और उपयुक्त नहीं हो सकता है। इसलिए उस पैरा में उक्त निर्देश मौजूदा समय के लिए वापस ले लिया जाता है।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 05:14 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 12:16 PM (IST)
High Court ने बंपर-टू-बंपर बीमा लागू करने का आदेश लिया वापस, ये है बड़ी वजह
High Court withdraws its order on bumper to bumper insurance IRDA says it was impossible

चेन्नई, पीटीआइ। मद्रास हाई कोर्ट ने बीमा कंपनियों को 1 सितंबर, 2021 से बेचे जाने वाले नए वाहनों के लिए पांच साल के लिए बंपर-टू-बंपर बीमा सुनिश्चित करने का निर्देश देने वाले अपने पहले के आदेश को वापस ले लिया है। IRDA और अन्य का कहना था कि इसे लागू करना असंभव है। जिसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले को वापस ले लिया है।

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न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने कहा, अदालत को लगता है कि इस साल 4 अगस्त को पैराग्राफ 13 में जारी निर्देश मौजूदा स्थिति में लागू करने के लिए अनुकूल और उपयुक्त नहीं हो सकता है। इसलिए, उस पैरा में उक्त निर्देश मौजूदा समय के लिए वापस ले लिया जाता है।

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न्यायाधीश ने आशा व्यक्त की और भरोसा किया कि कानून निर्माता इस पहलू पर गौर करेंगे और वाहनों के व्यापक कवरेज से संबंधित अधिनियम में उपयुक्त संशोधन की आवश्यकता की जांच करेंगे ताकि निर्दोष पीड़ितों की रक्षा की जा सके। न्यायाधीश ने कहा कि निर्देश को वापस लेने को देखते हुए संयुक्त परिवहन आयुक्त द्वारा इस संबंध में जारी 31 अगस्त का सर्कुलर भी रद किया जाता है।

IRDAI, GIC और SIAM ने कहा कि 4 अगस्त को जज की ओर से गैर-बीमित निर्दोष पीड़ितों को सुरक्षा कवरेज के संबंध में व्यक्त किए गए विचार, जैसे कि एक निजी कार में अनावश्यक रहने वाले और पीछे की सवारी करने वालों की सुरक्षा के लिए IRDAI के परामर्श से विधिवत ध्यान रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि बंपर टू बंपर पॉलिसी के कवरेज को अनिवार्य करने वाला आदेश मौजूदा समय में कानूनी व्यवस्था में प्रभावी कार्यान्वयन के लिए तार्किक और आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं हो सकता है। इसका उल्टा प्रभाव पड़ेगा, जिससे समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और इसलिए, न्यायालय द्वारा जारी निर्देश पॉलिसीधारकों, ऑटोमोबाइल उद्योग और बड़े पैमाने पर जनता के हित में वापस लिए जाते हैं।


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