आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने दिए दूसरे कार्यकाल के संकेत
आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि उन्होंने इस पद पर रहकर काम का पूरा लुत्फ उठाया है। अब वह दूसरे कार्यकाल के लिए भी तैयार हैं।
लंदन (प्रेट्र)। रघुराम राजन ने बतौर रिजर्व बैंक गवर्नर दूसरे कार्यकाल में दिलचस्पी के संकेत दिए हैं। आरबीआइ गवर्नर बोले कि इस पद पर काम करते हुए उन्होंने हर पल का आनंद लिया। यह और बात है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है। उन्होंने यह बात ऐसे समय की है जब सत्तारूढ़ भाजपा में कुछ लोग उनके कार्यकाल में किसी भी तरह का विस्तार दिए जाने के खिलाफ हैं।
राजन ने यहां कहा कि माहौल सुधारने के लिए चीजों को वास्तव में आगे बढ़ाने के मामले में उन्हें संतोष है। आरबीआइ गवर्नर के रूप में उनका तीन साल का मौजूदा कार्यकाल सितंबर में खत्म हो रहा है। उन्होंने कार्यकाल के विस्तार के बारे में भाजपा और सरकार के अंदर घमासान और इस मुद्दे पर राजनीति के बारे में एक सवाल के जवाब में यह बात कही। जब पूछा गया कि अगर उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं मिला तो क्या केंद्रीय बैंक के प्रमुख के तौर पर उनका काम अधूरा रह जाएगा, राजन ने कहा, 'यह अच्छा सवाल है। मेरा मानना है कि हमने बहुत कुछ हासिल किया है। हमेशा कुछ न कुछ और करने को बचा ही रहता है।'
वरिष्ठ भाजपा नेता सुब्रह्माण्यम स्वामी ने गुरुवार को कहा था कि राजन को उनके पद से हटा देना चाहिए। उन्होंने देश में औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट और बेरोजगारी के लिए राजन की नीतियों को जिम्मेदार बताया था। कहा था कि उन्हें जल्द से जल्द शिकागो वापस भेज देना चाहिए, यही बेहतर होगा।
राजन भारत आने से पहले शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनेंस के प्रोफेसर थे। अभी वह अवकाश पर हैं। राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष में मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं। वह कुछ लेक्चर्स के लिए ब्रिटेन आए हुए हैं। हाल में राजन बोले थे कि फिलहाल उन्हें सरकार से कार्यकाल के विस्तार के संबंध में कोई बात नहीं कही गई है। उन्होंने सितंबर, 2013 में आरबीआइ गवर्नर का पद संभाला था।
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भारत में लीमन जैसा कुछ नहीं होगा
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने फंसे कर्ज की समस्या से निपट लेने का भरोसा जताया है। आश्वस्त किया है कि भारत में लीमन ब्रदर्स की तरह किसी बैंक के ढहने की गुंजाइश नहीं है। घरेलू अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने के लिए तीन स्तर पर सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है। उन्होंने सार्वजनिक बैंकों के तत्काल निजीकरण की सभी मांगों को भी खारिज किया। कहा कि अभी उनकी बैलेंसशीट को साफ किए जाने की जरूरत है। बैलेंसशीट साफ नहीं हुई तो वैसे भी कोई निजी निवेशक आगे नहीं आएगा। नीतिगत दरों में कटौती को लेकर कुछ ज्यादा ही सावधानी बरतने के लिए आलोचना का सामना करने वाले राजन ने संकेत दिया है कि ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती ही एकमात्र उपाय नहीं है। बता दें कि एक समय विशाल बैंकिंग संस्थान रहे लीमन ब्रदर्स के ढहने के साथ ही 2008 में अमेरिका में वित्तीय संकट की शुरुआत हुई थी।
महंगाई अभी अपेक्षा से ज्यादा
राजन ने कहा है कि महंगाई की दर अभी अपेक्षाओं से कुछ ज्यादा है। फिलहाल इसमें उठापटक नहीं है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी में भरोसा जताया है। वह मानते हैं कि अच्छे मानसून से आर्थिक सुधार की प्रक्रिया में तेजी आएगी। वैसे, महंगाई के संबंध में उनके बयान से आरबीआइ की ओर से तुरंत ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। सात जून को केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा।