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प्रकृति पर निर्भर है दुनिया की आधी अर्थव्यवस्था, इसे नुकसान हुआ तो खतरे में होंगे 44 लाख करोड़ डॉलर के उद्योग

प्रकृति पर सर्वाधिक निर्भर क्षेत्रों में कंस्ट्रक्शन (चार लाख करोड़ डॉलर) कृषि (2.5 लाख करोड़ डॉलर) और खाद्य एवं पेय (1.4 लाख करोड़ डॉलर) प्रमुख तीन हैं। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 09:03 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 09:04 AM (IST)
प्रकृति पर निर्भर है दुनिया की आधी अर्थव्यवस्था, इसे नुकसान हुआ तो खतरे में होंगे 44 लाख करोड़ डॉलर के उद्योग
प्रकृति पर निर्भर है दुनिया की आधी अर्थव्यवस्था, इसे नुकसान हुआ तो खतरे में होंगे 44 लाख करोड़ डॉलर के उद्योग

दावोस, पीटीआइ।  जलवायु परिवर्तन और सिमटती जैव विविधता दुनिया की अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए बहुत घातक है। दुनिया की आधी अर्थव्यवस्था प्रकृति पर निर्भर है और प्रकृति से जुड़ी कोई भी समस्या सीधे अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव डालती है। वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। डब्ल्यूईएफ ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक से पहले नेचर रिस्क राइजिंग रिपोर्ट जारी की है।

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रिपोर्ट में विभिन्न प्रजातियों पर मंडराते खतरे और उनसे पड़ने वाले दुष्प्रभाव पर चिंता जताई गई है। इसके मुताबिक, इंसानों की गतिविधियों के कारण हमारे करीब 25 फीसद वनस्पतियों एवं जीवों पर खतरा मंडरा रहा है। 10 लाख प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। इनमें से कई प्रजातियां अगले कुछ दशक में ही विलुप्त हो जाएंगी।

163 इंडस्ट्री सेक्टर और उनके सप्लाई चेन के विश्लेषण में पाया गया कि दुनिया के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधे से ज्यादा हिस्सा कम या ज्यादा प्रकृति व इससे जुड़ी सेवाओं पर निर्भर है। डब्ल्यूईएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर डोमिनिक वाघरे ने कहा, ‘हमें प्रकृति और मनुष्य के बीच संबंधों को नए सिरे से तय करने की जरूरत है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रकृति को होने वाले नुकसान से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

मूल्य के आधार पर प्रकृति एवं इससे जुड़ी सेवाओं पर करीब 44 लाख करोड़ डॉलर के बराबर की निर्भरता है। प्रकृति से जुड़ी समस्याओं के कारण इस पूरे ढांचे पर बुरा असर पड़ सकता है। प्रकृति पर सर्वाधिक निर्भर क्षेत्रों में कंस्ट्रक्शन (चार लाख करोड़ डॉलर), कृषि (2.5 लाख करोड़ डॉलर) और खाद्य एवं पेय (1.4 लाख करोड़ डॉलर) प्रमुख तीन हैं। इनका आकार जर्मनी की कुल अर्थव्यवस्था का करीब दोगुना है।

इस तरह के उद्योग या तो सीधे वनों, महासागरों से मिलने वाले संसाधनों पर निर्भर हैं, या उपजाऊ मिट्टी, स्वच्छ जल, परागण व स्थिर जलवायु जैसे अन्य कारकों पर। जैसे-जैसे प्रकृति अपनी तरफ से इस तरह की सेवाएं प्रदान करने में अक्षम होती जाएगी, इन उद्योगों पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा। प्रकृति पर बहुत ज्यादा निर्भर उद्योगों का आकार करीब 13 लाख करोड़ डॉलर और कुछ कम निर्भर उद्योगों का आकार 31 लाख करोड़ डॉलर के बराबर है।

परोक्ष निर्भरता भी बहुत ज्यादा

डब्ल्यूईएफ ने पीडब्ल्यूसी यूके के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि कई उद्योग ऐसे भी हैं जिनकी सप्लाई चेन परोक्ष रूप से प्रकृति पर काफी निर्भर है। प्रकृति को होने वाले नुकसान से इन उद्योगों पर अनुमान से ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ सकता है। छह ऐसे उद्योग हैं जिनके कुल कारोबार का 15 फीसद से कम हिस्सा प्रकृति पर बहुत ज्यादा निर्भर है, लेकिन उनकी सप्लाई चेन का 50 फीसद से ज्यादा हिस्सा प्रकृति पर निर्भर है। इनमें केमिकल व मैटेरियल, उड्डयन व ट्रैवल एंड टूरिज्म, रियल एस्टेट, माइनिंग एंड मेटल, सप्लाई चेन व परिवहन तथा रिटेल, कंज्यूमर गुड्स व लाइफस्टाइल से जुड़े उद्योग शामिल हैं।

बड़ा देश, बड़ा खतरा

देश के हिसाब से देखा जाए तो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की जीडीपी का ज्यादा हिस्सा प्रकृति पर निर्भर है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका में प्रकृति पर निर्भर उद्योगों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। चीन की अर्थव्यवस्था का 2.7 लाख करोड़ डॉलर हिस्सा प्रकृति पर निर्भर है। यूरोपीय यूनियन में 2.4 लाख करोड़ डॉलर और अमेरिका में 2.1 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था प्रकृति पर निर्भर है।


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