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ग्वार में ब़़डे दिग्गजों की वजह से मंदी

गत पांच-छह दिनों के अंतराल ग्वार के ब़़डे सटोरियों द्वारा डिब्बे में माल बेचने एवं क्रूड में मंदे की हवाबाजी करके ग्वार को 200 से 300 रुपए तोड़ दिया गया। उनकी यह चाल है कि किसानों व छोटे व्यापारियों का माल झटककर ऑफ सीजन में भारी मुनाफा कमाएंगे। इस घटे

By Manoj YadavEdited By: Published: Thu, 15 Jan 2015 04:53 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jan 2015 05:06 PM (IST)
ग्वार में ब़़डे दिग्गजों की वजह से मंदी

नई दिल्ली। गत पांच-छह दिनों के अंतराल ग्वार के ब़़डे सटोरियों द्वारा डिब्बे में माल बेचने एवं क्रूड में मंदे की हवाबाजी करके ग्वार को 200 से 300 रुपए तोड़ दिया गया। उनकी यह चाल है कि किसानों व छोटे व्यापारियों का माल झटककर ऑफ सीजन में भारी मुनाफा कमाएंगे। इस घटे भाव पर कारोबारियों को खरीद करते रहनी चाहिए। भले ही बीच-बीच में मंदे का झटका क्यों न लगता रहे।

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ग्वार की रोक़़डा फसल में ब़़डे दिग्गज मैदान में आ गए हैं, जिससे उत्पादक मंडियों में आवक काफी कम रह जाने के बावजूद अपनी चालबाजी से गत पांच-छह दिनों के अंतराल 200 से 300 रुपए तोड़ दिए। जोधपुर लाइन में 4500 रुपए बिककर 4300 रुपए भाव रह गए हैं। गम भी 12500 से 12600 से घटकर 10500 से 10700 रुपए के निचले स्तर पर आने के बाद आज 11200 से 11300 रुपए बोलने लगे।

गौरतलब है कि कुछ विशेषज्ञ क्रूड में मंदा देखकर इसमें गिरावट की अटकलें लगा रहे हैं, जबकि उत्पादन 2.50 करोड़ से घटकर 1.75 करोड़ बोरी रह गया है। साथ ही साथ राजस्थान को छोड़कर हरियाणा के ग्वार में गम की प्रतिशतता भी घटी है। पुराना स्टॉक अधिकतर कारोबारियों से पहले ही निकल चुका था। इस समय किसी भी मंडी में ग्वार की आवक गत वर्ष की समानावधि की तुलना में 40 प्रतिशत कम रह गई है। अनाजों में बारीक चावल निचले स्तर को अब छोड़ने लगा है।

भारतीय बासमती प्रजाति के चावल अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सबसे नीचे चल रहे हैं, जिससे आगे लाभ मिलने की संभावना पूरी लग रही है। दलहनों में तुअर गुलबर्गा-कालीकोठी के बाद अमरावती लाइन में भी नया माल शुरू हो जाने से 150 से 200 रुपए टूट गई। उड़द, मूंग एवं मसूर में भी बिकवाली के प्रेशर में 100 से 200 रुपए निकल गए। ऊंझा में जीरे की आवक उक्त अवधि के अंतराल औसतन 32-33 हजार बोरी के करीब कुल मिलाकर हुई।

सप्ताह के चार दिनों तक सटोरियों द्वारा डिब्बे से लेकर चलते-फिरते बाजार में 600 से 700 रुपए प्रति क्विंटल तोड़ दिया गया। उसके बाद सोमवार बाजार खुलते ही चौतरफा लिवाली चलने से ऊंझा में हाजिर जीरा जो 2710 से 2715 रपए पर आ गया था, उसके भाव 2825 से 2830 रपए प्रति 20 किलो पर पहुंच गए।

हल्दी भी नीचे वाले भाव पर इरोड में चालानी मांग निकलने से तीन रुपए ब़़ढकर एजइटीज 83 से 84 रुपए किलो वहां हो गई। वहीं कालीमिर्च की आवक ब़़ढ जाने से कोचीन, सिमोगा, कुर्ग लाइन में 30 से 35 रुपए टूटकर नए माल के भाव 692 से 693 रुपए रह गए। नए माल में 5 से 7 प्रतिशत नमी होने से पुराना बेचकर कारोबारी उत्पादक मंडियों में बेचने लगे हैं जिससे यहां भी बाजार हल्के मालों का लुढ़क गया है।

केएलसीई में सीपीओ वायदा लगातार पूरे सप्ताह टूटता चला गया, जिससे मलेशिया में भी इसके भाव 25 डॉलर गिरकर 670 डॉलर प्रति टन के निचले स्तर पर आ गए जिससे कांडला में भी इसके भाव 170 से 180 रुपए गिरकर 4420 से 4430 रुपए क्विंटल रह गए। भरतपुर-अलवर लाइन में सरसों में भी स्टॉकिस्टों की चौतरफा बिकवाली आ गई जिससे 140 से 150 रुपए गिरकर 42 प्रतिशत कंडीशन के भाव वहां 3970 से 3980 रुपए रह गए। तेल सरसों भी टैंकर में 200 से 250 रुपए घटाकर बिकवाल आ गए।

शिकागो सोया तेल वायदा भी बड़े सटोरियों की बिकवाली से टूटता गया क्योंकि मलेशिया व इंडोनेशिया दोनों ही देशों के निर्यातक एवं उत्पादक हर भाव में सीपीओ की बिकवाली करने लगे हैं।


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