सरकार ने जीएसटी रेवेन्यू के लक्ष्य में किया इजाफा, अब हर महीने 1.15 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य
हालांकि इस बात का प्रावधान किया जा रहा है कि जिन लोगों ने गलती से अधिक आइटीसी क्लेम कर लिया है वे स्वैच्छा से अतिरिक्त राशि का वापस भुगतान कर सकें।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डाटा एनालिटिक्स में फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामलों के प्रकाश में आने के बाद वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष के अगले दो महीने के लिए जीएसटी रेवेन्यू का लक्ष्य बढ़ा दिया है। रेवेन्यू विभाग ने अब इन दो महीनों में हर महीने 1.15 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। जबकि आखिरी महीने में 1.25 लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू जुटाने का लक्ष्य है। इससे पहले सरकार ने दिसंबर में रेवेन्यू की समीक्षा के बाद शेष महीनों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये प्रति माह जुटाने का लक्ष्य तय किया था। साथ ही किसी एक माह में 1.25 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य भी तय हुआ था। लेकिन उसके बाद से डाटा एनालिटिक्स की मदद से विभाग ने फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के कई मामलों का पता लगाया है। इसके अलावा कई निर्यातकों की तरफ से रिफंड में धोखाधड़ी के केस भी सामने आए हैं। इन तथ्यों को सामने रखकर शुक्रवार को रेवेन्यू विभाग में हुई एक बैठक में नए सिरे से लक्ष्य तय करने का निर्णय हुआ।
बैठक में सीबीआइसी और सीबीडीटी के कई उच्चाधिकारियों ने शिरकत की।सूत्रों के मुताबिक जिन करदाताओं ने फर्जी तरीके से रिफंड लिया है अथवा अधिक आइटीसी का क्लेम किया है उन्हें एसएमएस और मेल भेजने की भी तैयारी हो रही है। इस प्रक्रिया में उन लोगों को भी शामिल किया जाएगा जिन्होंने जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है। हालांकि इस बात का प्रावधान किया जा रहा है कि जिन लोगों ने गलती से अधिक आइटीसी क्लेम कर लिया है वे स्वैच्छा से अतिरिक्त राशि का वापस भुगतान कर सकें।
एसएमएस और ई मेल भेजने के बाद जीएसटी अधिकारी ऐसे करदाताओं के पास जाएंगे ताकि नियमों के मुताबिक निश्चित समय के भीतर कर की अदायगी सुनिश्चित हो सके। रेवेन्यू सचिव की निगरानी में हर सप्ताह हो रही समीक्षा बैठकों के बाद 1.2 करोड़ रजिस्टर्ड जीएसटी फर्मो में 40000 ऐसी कंपनियों का पता लगा है जिन्होंने अधिक या फर्जी तरीके से आइटीसी क्लेम किया है।सूत्रों का कहना है कि जीएसटी अधिकारी अब सप्लाई और परचेज इनवॉयस का मिलान कर उनकी गड़बडि़यों का पता लगाएंगे। इसके अलावा जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2ए और जीएसटीआर-3बी में मिसमैच, रिटर्न दाखिल नहीं करने के मामलों, ओवर इनवॉयसिंग जैसे मामलों पर फोकस करेंगे। इसके अलावा इनवर्टड ड्यूटी स्ट्रक्चर के तहत सभी तरह के रिफंड का डाटा एनालिटिक्स होगा ताकि उनमें हुई गड़बडि़यों का पता लगाया जा सके।