GST काउंसिल की बैठक आज: चीनी पर सेस लगाने व एथनॉल पर जीएसटी घटाने की तैयारी
जीएसटी रिटर्न सरल बनाने और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की ड्यूटी फ्री शॉप्स में खरीदारी को जीएसटी से छूट प्रदान करने का निर्णय भी काउंसिल कर सकती है।
नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए जीएसटी काउंसिल दो अहम फैसले कर सकती है। काउंसिल एथनॉल पर जीएसटी की दर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर सकती है। साथ ही शुगर सेस लगाने का निर्णय भी किया जा सकता है। हालांकि कुछ राज्यों को सेस लगाने पर एतराज भी है। काउंसिल डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहन देने पर भी विचार कर सकती है।
सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुक्रवार को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में एथनॉल पर जीएसटी की वर्तमान दर में कटौती का फैसला किया जा सकता है। इसकी वजह यह है कि फिलहाल बॉयोफ्यूल पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत है। इसलिए एथनॉल पर भी टैक्स की दर इसके बराबर रखी जा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि काउंसिल चीनी पर पांच प्रतिशत शुगर सेस लगाने का निर्णय भी कर सकती है। वैसे कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं। उनकी दलील है कि सरकार को शुगर सेस लगाने के बजाय चीनी पर जीएसटी की दर ही बढ़ा देनी चाहिए। माना जा रहा है कि चीनी पर शुगर सेस लगाने के लिए अध्यादेश लाना पड़ेगा क्योंकि इसके लिए जीएसटी कानून में बदलाव की जरूरत पड़ेगी।दरअसल जीएसटी लागू होने से पहले उत्पाद शुल्क के साथ चीनी पर 124 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सुगर सेस लगता था लेकिन एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद यह खत्म हो गया। यही वजह है कि काउंसिल अब शुगर सेस लगाने की दिशा में बातचीत कर रही है। शुगर सेस की राशि चीनी विकास निधि में जमा होती है। इस राशि का इस्तेमाल चीनी मिलों को वित्तीय मदद तथा किसानों के लिए संपर्क मार्ग बनाने जैसे कार्यों को इस्तेमाल होता है। शुगर सेस कानून 1982 के तहत यह सेस लगाने का प्रावधान था।
ड्यूटी फ्री शॉप्स को जीएसटी से छूट संभव
जीएसटी रिटर्न सरल बनाने और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की ड्यूटी फ्री शॉप्स में खरीदारी को जीएसटी से छूट प्रदान करने का निर्णय भी काउंसिल कर सकती है। इसके अलावा जीएसटी काउंसिल डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोत्साहनों की घोषणा भी कर सकती है। जीएसटी रिटर्न सरल बनाने के संबंध में मंत्री समूह की सिफारिशों पर भी विचार करेगी। जीएसटी में मौजूदा जीएसटीआर-1, जीएसटीआर-2 और जीएसटीआर-3 की व्यवस्था की जगह सिर्फ एक सिंगल पेज का रिटर्न का रखने के प्रस्ताव को भी काउंसिल अंतिम रूप दे सकती है।
पूरी तरह सरकारी होगी जीएसटीएन
सूत्रों के मुताबिक काउंसिल जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) में केंद्र और राज्यों की मौजूदा 49 प्रतिशत हिस्सेदारी को बढ़ाकर सौ फीसद करने पर भी विचार करेगी। अभी जीएसटीएन में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र और राज्य सरकारों के पास और 51 प्रतिशत हिस्सेदारी पांच गैर-सरकारी वित्तीय संस्थानों के पास है।