कोविड-19 के कारण गड़बड़ाया जीएसटी कंपनसेशन का सारा हिसाब, केंद्र ने राज्यों को 15,430 करोड़ रुपये का किया भुगतान
अभी सरकार ने अपने रेवेन्यू की परवाह नहीं करते हुए राज्यों को 15430 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है लेकिन आगे इतनी राशि का भुगतान हो सकेगा इसको लेकर संदेह है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोविड-19 ने सरकार के राजस्व संग्रह पर जो वार किया है, उसके कैसे-कैसे आयाम देखने को मिलेंगे उसकी एक बानगी जीएसटी कंपनसेशन को लेकर दिखाई देने लगी है। इस मद में केंद्र सरकार को जीएसटी कानून के कहत चालू वित्त वर्ष में राज्यों को कुल 20,250 करोड़ रुपये प्रति महीने के हिसाब से कंपनसेशन देना है। लेकिन लॉकडाउन व आर्थिक विकास दर के बहुत ही नीचे चले जाने के बनते माहौल में कुल जीएसटी संग्रह ही उम्मीद से बहुत कम रहने की स्थिति बन रही है। ऐसे में केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी आर्थिक व वैधानिक समस्या यह पैदा हो गई है कि कंपनसेशन के मद का भुगतान किस तरह से किया जाए। वैसे अभी सरकार ने अपने रेवेन्यू की परवाह नहीं करते हुए राज्यों को 15,430 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है लेकिन आगे इतनी राशि का भुगतान हो सकेगा, इसको लेकर संदेह है।
जीएसटी कानून के तहत राज्यों को सालाना 14 फीसद ज्यादा प्रोटेक्टेड रेवेन्यू की व्यवस्था है। यानी जीएसटी संग्रह से जो हिस्सा राज्यों को दिया जाएगा वह वर्ष 2015-16 में राज्यों के वास्तविक राजस्व संग्रह से कम से कम 14 फीसद ज्यादा होगा। अगर जीएसटी संग्रह 14 फीसद के लक्षित संग्रह से कम होगा जो उसकी भरपाई कंपनसेशन के तौर पर केंद्र करेगा। इसके लिए कंपनसेशन सेस लगाने की व्यवस्था भी की गई है लेकिन आर्थिक विकास दर अपने अनुमान से काफी कम होने की वजह से उससे होने वाले संग्रह भी काफी कम होता जा रहा है।
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वर्ष 2019-20 में राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन के तौर पर 1,20,498 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था जबकि कंपनसेशन सेस के तौर पर 95 हजार करोड़ रुपये ही प्राप्त हुए थे। हालांकि, इसके पहले दो वित्त वर्षो के दौरान कंपनसेशन सेश के तौर पर प्राप्त हुई राशि राज्यों को वास्तविक तौर पर दी जाने वाली राशि से ज्यादा थी। मार्च, 2019 में इस मद में 47,271 करोड़ रुपये की राशि थी।
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वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वर्ष 2019-20 की शुरुआत में सब ठीक था, जीएसटी संग्रह से हर महीने 1.14 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने आने की उम्मीद थी। लेकिन अगस्त, 2019 के बाद से संग्रह उम्मीद से कम रहने लगा जो अब बिल्कुल नीचे आ गया है। हर महीने कंपनसेशन के तौर पर 14 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था लेकिन कंपनसेशन सेस से संग्रह महज 9,000 करोड़ रुपये प्रति महीने तक ही रहे। मार्च, 2020 के बाद यह बिल्कुल नगण्य रह गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि राज्यों को नवंबर, 2019 तक के लिए ही 1,20,498 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वर्ष 2020-21 में राज्यों को 20,250 करोड़ रुपये प्रति महीने के भुगतान की जरूरत है जो मौजूदा हालात में काफी मुश्किल लग रहा है। केंद्र ने अप्रैल, 2020 के लिए जीएसटी संग्रह का डाटा अभी तक जारी नहीं किया है।
उक्त अधिकारी का कहना है कि जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठकों में कंपनसेशन को लेकर उपजी समस्या का समाधान निकालना एक बड़ा मुद्दा रहेगा। अगर सदस्यों के बीच सहमति बनती है तो दूसरे फंड की राशि को भी कंपनसेशन सेस फंड में जमा किया जा सकता है। लेकिन यह स्थिति तभी कारगर होगा जब सामान्य जीएसटी संग्रह भी उम्मीद के मुताबिक हो। जीएसटी कानून ने काउंसिल को ज्यादा उधारी लेने पर फैसला करने का भी अधिकार दिया हुआ है जिससे कंपनसेशन की भरपाई की जा सके।