देश की विकास दर जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 7 फीसद से नीचे आने का अनुमान: नोमूरा
नोमूरा का अनुमान है कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट के बाद आखिरी तिमाही में जीडीपी की दर 6.7 फीसद रह सकती है
नई दिल्ली (जेएनएन)। फरवरी में औद्योगिक उत्पादन की खस्ता हालत ने वित्त वर्ष 2016-17 की आखिरी तिमाही में आर्थिक विकास के अनुमानों को ध्वस्त कर दिया है। औद्योगिक उत्पादन में इस महीने 1.2 फीसद की गिरावट के बाद माना जा रहा है कि आखिरी तिमाही में जीडीपी की दर सात फीसद से नीचे आ जाएगी। जापानी वित्तीय एजेंसी नोमूरा का मानना है कि यह 6.7 फीसद तक रह सकती है।
वित्त वर्ष 2015-16 की आखिरी तिमाही आर्थिक विकास की दर सात फीसद रही थी। अनुमान लगाया जा रहा था कि वित्त वर्ष 2016-17 में भी आखिरी तिमाही की स्थिति लगभग यही रहेगी। लेकिन फरवरी में औद्योगिक उत्पादन की स्थिति ने सारे अनुमानों को गड़बड़ा दिया। नोमूरा का मानना है कि नोटबंदी के चलते औद्योगिक गतिविधियों को काफी हद तक प्रभावित किया है। लेकिन एजेंसी मानती है कि इसका असर स्थायी तौर पर नहीं रहने वाला है।
नोमूरा ने भविष्य में आर्थिक विकास दर के मजबूत रहने की संभावना जताते हुए कहा है कि मांग बढ़ने के बाद 2017 की दूसरी छमाही में यह 7.3 फीसद रह सकती है। जबकि 2018 में मांग और खपत में वृद्धि आर्थिक विकास दर को 7.7 फीसद तक ले जा सकती है। इसमें सरकार की तरफ से होने वाले खर्च में वृद्धि भी आर्थिक विकास दर को तेज करने में मददगार साबित होगी। नोमूरा का कहना है कि नए वित्त वर्ष में औद्योगिक उत्पादन रफ्तार पकड़ सकता है। इसके साथ साथ नोटबंदी के बाद नई मुद्रा का प्रवाह बढ़ने, ब्याज दरों में कमी और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी के साथ राज्य सरकारों के वेतन में वृद्धि से अर्थव्यवस्था की विकास दर को ऊंचा ले जाने में मदद मिलेगी। नोमूरा ने अपने रिपोर्ट में फिलहाल निकट भविष्य में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती की संभावना से इन्कार किया है। एजेंसी का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में महंगाई बढ़ने की आशंका है।