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टेलीकॉम उद्योग की दिक्कतें दूर करने के लिए सरकार ने बनाईं कमेटियां

दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों की दिक्कतें सुलझाने के लिए कमेटियों का गठन किया है

By Pramod Kumar Edited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 08:45 AM (IST)Updated: Thu, 01 Nov 2018 08:45 AM (IST)
टेलीकॉम उद्योग की दिक्कतें दूर करने के लिए सरकार ने बनाईं कमेटियां
टेलीकॉम उद्योग की दिक्कतें दूर करने के लिए सरकार ने बनाईं कमेटियां

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दूरसंचार विभाग ने नेशनल डिजिटल कम्युनिकेशंस पॉलिसी में तय किए लक्ष्यों पर काम करने खासकर टेलीकॉम कंपनियों की दिक्कतें सुलझाने के लिए कमेटियों का गठन किया है।

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दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने इंटरव्यू में कहा कि हमने कई कमेटियों का गठन किया है। हमें कुछ कमेटियों का विस्तार करना होगा ताकि वित्त, अंतरिक्ष और आइटी विभागों की राय जानने के लिए उन्हें भागीदारी दी जा सके। ज्यादातर कमेटियों का गठन किया जा चुका है। अब हम काम शुरू करने वाले हैं। नेशनल डिजिटल कम्युनिकेशंस पॉलिसी के तहत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए दूरसंचार विभाग की कार्ययोजना के बारे में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने यह जानकारी दी।

बीते 22 अक्टूबर को अधिसूचित पॉलिसी में प्रस्ताव है कि लाइसेंस फीस, स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज समेत शुल्कों की समीक्षा करके टेलीकॉम सेक्टर की दिक्कतें दूर किया जाए। चार्ज की गणना के लिए कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा पर भी गौर किया जाएगा और उद्योग की चिंताओं का समाधान किया जाएगा। शुल्क और स्पेक्ट्रम चार्ज को तर्कसंगत बनाने की योजना पर पूछे जाने पर सुंदरराजन ने कहा कि कमेटियां इस पर तुरंत काम शुरू करेंगी।

भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में कहा था कि टेलीकॉम सेक्टर पर तंबाकू उद्योग की तरह काफी ऊंची दर से टैक्स लगाया गया है। देश में मोबाइल ऑपरेटरों को 100 रुपये की कमाई होती है तो उसमें से 37 रुपये विभिन्न तरह के शुल्क व चार्ज के रूप में सरकार के खजाने में चले जाते हैं।

दूरसंचार सचिव ने कहा कि ज्यादातर मसलों को एक साल के भीतर सुलझा लिया जाएगा। हालांकि कुछ काम 2022 तक चलेगा। पॉलिसी में उन्हें पूरा करने के लिए तब तक का वक्त दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमें दो बिंदुओं को स्वीकार करना होगा कि 5जी टेक्नोलॉजी लागू करने के लिए ज्यादा स्पेक्ट्रम की जरूरत होगी और राजस्व बढ़ाना एक मात्र उद्देश्य नहीं हो सकता है। टेलीकॉम कंपनियों की चिंताओं को स्वीकार करते हुए टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने स्पेक्ट्रम चार्ज में 46 फीसद तक कमी करने का प्रस्ताव पहले ही कर दिया है।


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