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आमदनी पर टीडीएस कटा तो माने जाएंगे कामगार!

सरकार रोजगार की संख्या बढ़ाने को औपचारिक ‘कामगार’ की नई परिभाषा गढ़ने की तैयारी कर रही है

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 12:32 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 12:32 PM (IST)
आमदनी पर टीडीएस कटा तो माने जाएंगे कामगार!
आमदनी पर टीडीएस कटा तो माने जाएंगे कामगार!

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। हाल के वर्षो में रोजगार के अवसर बढ़ने या घटने को लेकर चल रही राजनीतिक बहस के बीच सरकार रोजगार की संख्या बढ़ाने को औपचारिक ‘कामगार’ की नई परिभाषा गढ़ने की तैयारी कर रही है। नई परिभाषा के तहत उन सभी श्रमिकों को औपचारिक ‘कामगार’ माना जाएगा, जिन्होंने मेडिकल बीमा कराया हुआ है या जो नई पेंशन योजना (एनपीएस) के सदस्य हैं। उन्हें भी औपचारिक कामगार माना जाएगा, जिनकी आय पर टीडीएस काटा जा रहा है और जिन्हें फॉर्म 16 मिल रहा है। माना जा रहा है कि ‘कामगार’ की नई परिभाषा अपनाने से देश में रोजगार की संख्या खासी बढ़ जाएगी।

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रोजगार के आंकड़े सुधारने के लिए सुझाव देने को गठित नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया की अध्यक्षता वाले टास्क फोर्स ने ‘कामगार’ की नई परिभाषा अपनाने की सिफारिश की है। फिलहाल देश में ‘कामगार’ की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है। आम तौर पर उन्हें नियमित कामगार माना जाता है, जो कारखाना अधिनियम, 1948 के तहत पंजीकृत उद्यमों में कार्यरत हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) औपचारिक कामगार की जगह संगठित कामगार की परिभाषा का इस्तेमाल करता है। इसके तहत सेवा क्षेत्र में लगे सभी मजदूर असंगठित कामगार के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।

श्रम एवं रोजगार मंत्रलय की परिभाषा बिल्कुल अलग है। इसमें सरकारी कर्मचारी और 10 या इससे अधिक कर्मियों की संख्या वाले उद्यमों में काम करने वाले श्रमिकों को ही औपचारिक कामगार माना जाता है। अजरुन सेनगुप्ता समिति की रिपोर्ट में जो परिभाषा दी गई थी, वह बिल्कुल अलग है। इस समिति के अनुसार अगर कोई उद्यम अपने कर्मचारी के साथ अनुबंध करता है जो उसे औपचारिक कामगार माना जाएगा भले ही वह उद्यम छोटा हो या बड़ा। टास्क फोर्स ने हाल में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक प्रजेंटेशन दिया है। टास्क फोर्स ने अब अपनी रिपोर्ट आम लोगों की प्रतिक्रिया के लिए नीति आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी है। लोगों के सुझाव के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

गढ़नी होगी नई परिभाषा
टास्क फोर्स का कहना है कि औपचारिक ‘कामगार’ की सभी मौजूदा परिभाषाएं बेहद सीमित हैं। इसके चलते रोजगार के आंकड़ों से ऐसे लोग छूट जाते हैं, जो अच्छी खासी नौकरी तो करते हैं, लेकिन वे बड़े उद्यमों में काम नहीं करते या जिन्होंने लिखित अनुबंध नहीं किया है। भारत में कामगार और नियोक्ता के बीच लिखित में अनुबंध प्रचलित नहीं हैं। तीन चौथाई से अधिक रोजगार ऐसे उद्यमों में है, जिनमें 10 कामगार तक कार्य करते हैं।

इन्हें माना जाए आधार
टास्क फोर्स इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि औपचारिक ‘कामगार’ की नई परिभाषा अपनाई जाए। उसका कहना है कि रोजगार की गणना के लिए कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 और कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान कानून, 1952 के तहत आने वाले कर्मचारियों को औपचारिक ‘कामगार’ माना जाए। सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों, निजी बीमा, एनपीएस व पीएफ लेने वाले श्रमिकों को भी औपचारिक कामगार की श्रेणी में रखा जाए। उन लोगों को भी औपचारिक कामगार माना जाए, जिनकी आय पर टीडीएस कट रहा है और जिन्हें फॉर्म 16 मिल रहा है।


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