सरकार मांग को गति देने के लिये और वित्तीय, मौद्रिक उपायों की कर सकती है घोषणा: आर्थिक सलाहकार
उन्होंने संकेत दिया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है क्योंकि मांग के अनुसार मौद्रिक नीति उपकरण के रूप में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने बृहस्पतिवार को कहा कि आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर आ रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मांग बढ़ाने के लिये कदम उठाएगी और इसके लिये मौद्रिक तथा राजकोषीय गुंजाइश दोनों उपलब्ध हैं।सान्याल ने संकेत दिया कि रिजर्व बैंक मांग को गति देने के लिये मौद्रिक नीति पहल के तहत नीतिगत दर में कटौती कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने विभिन्न पैकज की घोषणा की है और अब तक ज्यादातर पैकेज वास्तव में मांग के झटकों को झेलने को लेकर है। हमने अब तक कम-से-कम मांग को फिर से गति देने के लिये ठोस कदम नहीं उठाये हैं। हम आने वाले समय में इस दिशा में कदम उठाएंगे। हमारे पास इसके लिये मौद्रिक एवं राजकोषीय गुंजाइश दोनों है।’’मुख्य आर्थिक सलाहकार ने ‘इंडिया ग्लोबल वीक, 2020’ में कहा कि मौद्रिक नीति मोर्चे पर अभी काफी गुंजाइश है क्योंकि पश्चिम यूरोप के विपरीत ब्याज दरें यहां अभी भी काफी सकारात्मक है। पश्चिमी यूरोप में शून्य से लेकर नकारात्मक तक दरें हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसीलिए भारत में ब्याज दरों में कमी लाने के लिये काफी गुंजाइश है और रिजर्व बैंक व्यवस्थित रूप से नीतिगत दरें कम कर रहा है...।’’ सान्याल ने कहा, ‘‘इसका लाभ ग्राहकों को मिलने में समय लगता है लेकिन यह हो रहा है। राजकोषीय मोर्चे पर भी हमारे पास गुंजाइश है। हमारा कर्ज जीडीपी अनुपात के रूप में अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम है।’’
रिजर्व बैक ने मई में नीतिगत दर को कम कर रिकार्ड न्यूनतम स्तर 4 प्रतिशत कर दिया। सान्याल ने कहा कि ‘लॉकडाउन’ के दौरान मांग में तेजी लाने के लिये कदम उठाने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि इसका मनचाहा परिणाम नहीं आता। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम चीजों को पटरी पर लाने और उसे आगे बढ़ाने के चरण में हैं। ‘लॉकडाउन’ को खोला जा रहा है। निश्चित रूप से हम मांग में तेजी लाने के लिये विभिन्न उपायों के उपयोग की स्थिति में है। सान्याल ने कहा कि इसके अलावा सरकार ने आपूर्ति के मोर्चे पर सुधारों की घोषणा की है। इसमें कृषि और श्रम शामिल हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कोविड-19 के बाद दुनिया मूल रूप से अलग होगी। इसकी अपनी आपूर्ति व्यवस्था होगी, भू-राजनीति होगी और ग्राहकों का व्यवहार बदला हुआ होगा।