सरकार के राहत पैकेज में स्वास्थ्य क्षेत्र की जरूरतों की अनदेखी: फिच
कोविड-19 महामारी जैसे अभूतपूर्व संकट की वजह से देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत को बल मिला है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार के ताजा राहत पैकेज में स्वास्थ्य क्षेत्र की तात्कालिक जरूरतों को ध्यान नहीं रखा गया है। रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्युशंस ने यह बात कही है। इसके मुताबिक कोविड-19 महामारी के चलते इस क्षेत्र पर बहुत दबाव है। इस बारे में फिच समूह इकाई फिच सॉल्युशंस कंट्री रिस्क एड इंडस्ट्री रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने 11 मार्च को स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन को जीडीपी के मुकाबले 0.008 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की थी, ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च को बढ़ाया जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कुछ नया नहीं है, बजटीय आवंटन पुराना ही है, बस मौजूदा खर्च को ही इधर-उधर किया गया है और सरकार का प्रोत्साहन पैकेज स्वास्थ्य क्षेत्र की तात्कालिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम नहीं है। कोविड-19 महामारी जैसे अभूतपूर्व संकट की वजह से देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत को बल मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार स्वास्थ्य खर्च को कम रखने और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर निवेश नहीं करने के चलते यदि कोरोना वायरस संक्रमण को सही तरीके से सीमित नहीं किया गया तो देश में वायरस का प्रकोप और गहरा होगा। उसने कहा कि COVID-19 महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य प्रावधान में सार्वजनिक क्षेत्र का बहुत है।
तेजी से घटते राजस्व और तेजी से घटते मुनाफे के कारण कई निजी अस्पताल बंद हो रहे हैं। इन सभी कमियों और बाधाओं के बावजूद, सार्वजनिक क्षेत्र को इस महामारी के दौरान स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्य भूमिका निभाने के लिए कदम उठाना पड़ा है, क्योंकि निजी अस्पतालों से संकट के समय बहुत मदद नहीं मिली है।