जीडीपी के लिए आधार वर्ष में बदलाव वैश्विक स्तर पर एक नियमित प्रक्रिया
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री सदानंद गौड़ा ने जीडीपी का बेस इयर के बदले जाने के संबंध में पूछे गए सवाल का लोकसभा में जवाब दिया
नई दिल्ली: जीडीपी की गणना करने के लिए आधार वर्ष में परिवर्तन उस वैश्विक अभ्यास के अनुरुप है जिसे आर्थिक जानकारी को सही ढंग से प्राप्त करने को अभ्यास में लाया जाता है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री सदानंद गौड़ा ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत अभ्यास के अनुसार आधार वर्ष संशोधन अभ्यास किया जाता है ताकि अर्थव्यवस्था के बदलते स्वरूप की परख हो सके।
इस बदलाव के बारे में पूछे जाने के संबंध में लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया, “यह नवीनतम जानकारी प्राप्त करना सुनिश्चित करता है और यह देश में वर्तमान आर्थिक स्थिति को सही ढंग से दर्शाता है।”
इस मंत्रालय के अधीन आने वाले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय, ने 2011-12 के लिए जीडीपी गणना के लिए जनवरी 2015 से बेस इयर को परिवर्तित किया था, इसने साल 2004-05 के पुराने आधार वर्ष की जगह ली है। गौड़ा ने दावा किया कि पुरानी सीरीज के आधार पर जीडीपी सही ढंग से वर्तमान आर्थिक स्थिति को प्रदर्शित नहीं करती है। नई सीरीज नेशनल अकाउंट्स सिस्टम-2008 में संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुरुप है।
आधार वर्ष यानी बेस इयर क्या होता है:
सकल घरेलू उत्पाद की जब गणना की जाती है उसके अंतर्गत विशेष उत्पाद में आए उत्तर-चढ़ाव का आंकलन/तुलना पूर्व वर्ष से की जाती है और उसमें पाए जाने वाले अंतर के तहत नया आधार वर्ष तय किया जाता है।