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MSME सेक्टर को आसानी मिलेगा कर्ज, महामारी में छोटे करोबार पर बड़े कारपोरेट का हुआ कब्जा

महामारी के दौरान एक चौथाई एमएसएमई की तीन प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी कम हुई और इस पर बड़े कारपोरेट घरानों ने कब्जा कर लिया। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 69 क्षेत्रों और 147 क्लस्टरों के एमएसएमई का विश्लेषण किया जिनका राजस्व 47 लाख करोड़ रुपये है।

By Saurabh VermaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 11:06 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 08:21 AM (IST)
MSME सेक्टर को आसानी मिलेगा कर्ज, महामारी में छोटे करोबार पर बड़े कारपोरेट का हुआ कब्जा
Photo Credit - MSME Sector File Photo

नई दिल्ली, पीटीआई। केंद्र सरकार की तरफ से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (MSME) सेक्टर की बेहतरी के लिए कई सारी योजनाएं पेश की गई हैं। सरकार एमएसएमई को भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत पिलर मानती है। दरअसल एमएसएमई भारत में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है। यही वजह है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सचिव बीबी स्वैन ने सोमवार को कहा कि सरकार इस श्रेणी के उद्यमियों को आसानी से कर्ज मिल सके, इसके लिए काम कर रही है।

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आपातकालीन लोन गारंटी योजना के तहत 3.47 लाख करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर 

स्वैन ने अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर सीआइआइ की तरफ से आयोजित सम्मेलन में कहा कि किफायत लोन तक पहुंच सभी के लिए एक चुनौती बनी हुई है और इस समस्या के समाधान को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं। स्वैन ने कहा, ‘हम छोटे उद्यमों को भी औपचारिक ढांचे में लाने की दिशा में काम कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि आपातकालीन लोन गारंटी योजना के तहत 3.47 लाख करोड़ रुपये के ऋण मंजूर किए गए हैं। इसमें से 2.31 लाख करोड़ के कर्ज एमएसएमई क्षेत्र को दिए गए हैं। इस दौरान मौजूद एमएसएमई राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा ने कहा कि ई-कामर्स के माध्यम से ना केवल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का मुनाफा बढ़ा है बल्कि उनका मार्केटिंग खर्च कम हुआ। इतना ही नहीं उन्हें नए बाजारों तक अपनी पहुंच बढ़ाने में भी मदद मिली है। वर्मा ने कहा कि एमएसएमई देश में रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

एक चौथाई एमएसएमई की बाजार हिस्सेदारी घटी

महामारी के दौरान एक चौथाई एमएसएमई की तीन प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी कम हुई और इस पर बड़े कारपोरेट घरानों ने कब्जा कर लिया। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने 69 क्षेत्रों और 147 क्लस्टरों के एमएसएमई का विश्लेषण किया, जिनका राजस्व 47 लाख करोड़ रुपये है। सर्वे से पता चला कि महामारी में आधी कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी में ना केवल कमी आई बल्कि परिचालन लाभ भी घटा।


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