पावर सेक्टर में उपक्रमों के विलय की हो रही तैयारी, जल्द होगी घोषणा
सरकार ने बिजली क्षेत्र की पावर कंपनियों में विलय की तैयारी की है। अगले कुछ हफ्तों में इस बारे में अहम घोषणा होने की उम्मीद है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राजग सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद ही कहा था कि बिजली क्षेत्र में अत्यधिक सरकारी कंपनियों की जरूरत नहीं है। अब जाकर सरकार ने बिजली क्षेत्र की पावर कंपनियों में विलय की तैयारी की है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले कुछ हफ्तों में इस बारे में अहम घोषणा होने की उम्मीद है। पहले चरण में बिजली क्षेत्र की वित्तीय कंपनियों मसलन रूरल इलेक्टिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) में पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) का विलय करने की बात हो रही है। अगले चरण में पनबिजली उपक्रमों को आपस में मिलाकर एक बड़ी कंपनी बनाने की सोच है। बताते चलें कि हाल ही में तीन बैंकों का विलय किया गया है जबकि तीन सरकारी साधारण बीमा कंपनियों के विलय की प्रक्रिया शुरू की गई है। जबकि ऑयल सेक्टर की दो सरकारी कंपनियों का भी विलय किया गया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए भी पावर सेक्टर की सरकारी कंपनियों का विलय जरूरी है। आरईसी और पीएफसी के विलय से ही सरकार को 14,000-15,000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। यह रकम पीएफसी में सरकार की हिस्सेदारी खरीदकर आरईसी अदा करेगी। पीएफसी में सरकार की तकरीबन 66 फीसद हिस्सेदारी है। इस बारे में हाल ही में पावर और वित्त मंत्रालय के बीच विस्तार से विमर्श हुआ है। सत्ता में आने के तुरंत बाद ही राजग सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों को मिलाकर दुनिया की दिग्गज एनर्जी कंपनी बनाई जाएगी। इसके लिए कोयला, ऑयल, पावर सेक्टर की कंपनियों के विलय और एकीकरण को अपनाने की बात भी कही गई थी। तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने एनटीपीसी और कोल इंडिया लिमिटेड को दुनिया की दस सबसे बड़ी एनर्जी कंपनियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा था। इस बारे में कुछ खास तो नहीं हो पाया है लेकिन उम्मीद है कि पीएफसी और आरईसी के विलय से आगे की कुछ राह निकलेगी।