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इस साल 31 दिसंबर तक होगा दालों का शुल्क मुक्त आयात

31 दिसंबर 2021 को या उससे पहले जारी किए गए लदान के बिल के साथ इन वस्तुओं की आयात खेप को 31 जनवरी 2022 के बाद सीमा शुल्क विभाग अनुमति नहीं देगा। सरकार ने इस साल मई में इन आयातों को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में डाल दिया था।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 09:34 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 09:34 PM (IST)
इस साल 31 दिसंबर तक होगा दालों का शुल्क मुक्त आयात
Govt extends import window for tur urad and soyameal

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने अरहर और उड़द दाल के खुले आयात की अवधि इस साल दिसंबर तक बढ़ा दी है। भारत दुनिया में दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है। वाणिज्य मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि अरहर और उड़द दाल के मुफ्त आयात की अवधि 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दी गई है।

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अधिसूचना के अनुसार 31 दिसंबर, 2021 को या उससे पहले जारी किए गए लदान के बिल के साथ इन वस्तुओं की आयात खेप को 31 जनवरी, 2022 के बाद सीमा शुल्क विभाग अनुमति नहीं देगा। सरकार ने इस साल मई में इन आयातों को प्रतिबंधित से मुक्त श्रेणी में डाल दिया था।

प्रतिबंधित श्रेणी के तहत आने वाले उत्पादों के लिए एक आयातक को आयात के लिए अनुमति या लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है। मंत्रालय ने नोटिस में कहा कि 2021-2022 की अवधि के लिए प्रतिबंधित दाल आयात मंजूरी के लिए आवेदकों ने जो आवेदन शुल्क जमा कराया था, उसकी वापसी के लिए प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

11 राज्यों ने पूंजीगत खर्च का लक्ष्य हासिल किया

देश के 11 राज्यों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) लक्ष्य हासिल कर लिया है। अब ये राज्य कुल 15,721 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने इन राज्यों को इंसेंटिव के रूप में इस कर्ज की इजाजत दी है। सभी राज्य अपनी जीडीपी के 0.25 फीसद के बराबर का कर्ज ले सकेंगे।

वित्त मंत्रालय की इस इजाजत से ये राज्य अपने पूंजीगत खर्च में और बढ़ोतरी कर सकेंगे। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, राजस्थान व उत्तराखंड शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य अपनी जीडीपी का अधिकतम चार फीसद तक का कर्ज ले सकते हैं। इनमें 0.5 फीसद कर्ज चालू वित्त वर्ष में राज्यों द्वारा पूंजीगत खर्च में की जाने वाली बढ़ोतरी पर निर्भर है। व्यय विभाग ने चालू वित्त वर्ष में सभी राज्यों के पूंजीगत खर्च का लक्ष्य तय किया है।


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