एकीकृत बैंक के सहारे सरकार PSB की छवि सुधारने का करेगी प्रयास
गठन के बाद बनने वाले नए बैंक में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसद की जाएगी
नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय से एकीकृत बैंक का गठन करके सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की मौजूदा छवि को बहुत हद तक बदलने की मंशा रखती है। सोच यह है कि बैंक का नया प्रबंधन न सिर्फ बेहद पेशेवर व हर तरह के सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो, बल्कि यह अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय बैंकिंग सिस्टम की मजबूत छवि पेश करे। सरकार इस बैंक में अपनी हिस्सेदारी भी कम से कम रखना चाहती है। पूरी तैयारी इस बात की है कि अप्रैल से नया बैंक अंतरराष्ट्रीय मानकों पर एक मजबूत बैंक के तौर पर काम शुरू कर दे।
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की दिशा तय करने वाला होगा यह कदम
इन तीनों बैंकों के विलय से जुड़ी चर्चाओं में हिस्सा लेने वाले एक अधिकारी के मुताबिक यह विलय आने वाले वर्षो में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की दिशा तय करने वाला होगा। आने वाले दिनों में इस तरह के कई विलय सरकारी बैंकों में होंगे। यह भी संभव है कि इन तीन बैंकों के गठबंधन में कुछ और बैंकों को आगे चलकर शामिल किया जाए। इसलिए सरकार एक मॉडल बनाने की कोशिश कर रही है। गठन के बाद बनने वाले नए बैंक में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसद की जाएगी। सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से सरकारी बैंकों के प्रति निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
सरकार की सोच- दो बड़े भारतीय बैंक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हों
इस अधिकारी के मुताबिक नए बैंक के शीर्ष पद पर बीओबी के मौजूदा सीईओ पीएस जयकुमार को बनाए रखे जाने की उम्मीद है। लेकिन उनकी टीम में कुछ नए विशेषज्ञ प्रोफेशनल रखे जाएंगे। नए बैंक को लेकर सरकार की इस सतर्कता के पीछे एक वजह यह भी है कि विदेशों में एसबीआइ के बाद सबसे ज्यादा उपस्थिति बीओबी की है। विदेशी कारोबार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की वजह से सरकार चाहती है कि कम से कम दो बड़े व मजबूत भारतीय बैंक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हों।
चार-पांच वर्षों में जुटाने होंगे 4.5 लाख करोड़
आरबीआई के दिशानिर्देश के मुताबिक सरकारी बैंकों को जोखिम से सुरक्षा के लिए काफी पूंजी का इंतजाम करना होगा। चालू वित्त वर्ष में ही बैंकों को बांड जारी कर 1.31 लाख रुपये जुटाने को कहा गया था। आने वाले चार-पांच वर्षो में सरकारी बैंकों को बाजार से 4.5 लाख करोड़ जुटाने की जरूरत होगी। अभी बैंक ऑफ बड़ौदा में सरकार की हिस्सेदारी 59.2 फीसद, विजया बैंक में 70.3 फीसद और देना बैंक में 68.6 फीसद है। एक अनुमान है कि विलय बाद नए बैंक में केंद्र की हिस्सेदारी 62-63 फीसद रह सकती है।