नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपत्ति पर वार, नए साल में शिकंजा कसने की तैयारी में सरकार
नोटबंदी के जरिए कालेधन पर अंकुश लगाने के बाद अब केंद्र सरकार बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है
नई दिल्ली। नोटबंदी के जरिए कालेधन पर अंकुश लगाने के बाद अब केंद्र सरकार बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार इस साल जुलाई में फाइल किए टैक्स रिटर्न और बैंक ट्रांजैक्शंस के डेटा के आधार पर संदिग्ध रियल एस्टेट संपत्तियों की जांच करेगी। साथ ही पूरी जानकारी जुटाने के बाद ऐसी संदिग्ध प्रॉपर्टीज पर छापेमारी की जाएगी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात प्रोग्राम के जरिए बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ने का इशारा दिया था।
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 500 और 1000 रुपए के नोटों को बैन करने के बाद अब सरकार संदिग्ध रियल एस्टेट संपत्तियों की जांच पर ध्यान देगी। नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, 'अगले साल यह हमारी प्राथमिकता में होगा।'
दोषी पाए जाने पर 7 साल की कैद:
1 नवंबर 2016 से लागू हुए प्रोहिबिशन ऑफ बेनामी प्रॉपर्टीज ट्राजैक्शंस ऐक्ट के तहत बेनामी संपत्ति रखने वाले लोगों को 7 साल तक की कैद हो सकती है। इसके अलावा उनकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
क्या होती है बेनामी संपत्ति:
दरअस बेनामी संपत्ति का मतलब ऐसी प्रॉपर्टी से होता है, जिसका मालिक कागजों में कोई और होता है, जबकि उसके लिए पेमेंट किसी और ने किया होता है।
बेनामी संपत्ति की खास बातें:
- संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है।
- शर्त यह होती है कि खरीद में लगा पैसा आमदनी के ज्ञात स्रोतों से बाहर का होना चाहिए।
- अगर खरीदार परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो भी वह बेनामी कही जाएगी।
- खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता, लेकिन प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा रखता है।
- 1988 के काननू में किया गया संशोधन इस साल 1 नवंबर से लागू हो गया है।