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सरकार जल्द बदलेगी MSME की परिभाषा, 5 वर्षों में इस सेक्‍टर में 5 करोड़ रोजगार मिलने की उम्‍मीद

MSME सेक्टर को एक ही नाम से परिभाषित करने पर होगा विचार इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस परिदृश्य में होगा सुधार

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 23 Oct 2019 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 09:05 AM (IST)
सरकार जल्द बदलेगी MSME की परिभाषा, 5 वर्षों में इस सेक्‍टर में 5 करोड़ रोजगार मिलने की उम्‍मीद
सरकार जल्द बदलेगी MSME की परिभाषा, 5 वर्षों में इस सेक्‍टर में 5 करोड़ रोजगार मिलने की उम्‍मीद

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जल्द ही माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) की परिभाषा में बदलाव किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सेक्टर अगले पांच वर्षो में पांच करोड़ रोजगार पैदा करेगा। इससे पहले अगस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार एमएसएमई में सुधार करके इसे एक ही नाम से परिभाषित करने पर विचार करेगी।

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एमएसएमई की परिभाषा में सुधार के जरिये इस सेक्टर में टैक्स और निवेश जैसे मुद्दों को साधने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए एमएसएमई एक्ट में सुधार की जरूरत पड़ेगी। इस कवायद से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस परिदृश्य में और सुधार होगा। पिछले वर्ष फरवरी में इस एक्ट में सुधार किया गया था। गडकरी ने कहा कि एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था का ह्रदय है। यह देश के जीडीपी में 29 परसेंट का योगदान करता है। इसके साथ ही इस सेक्टर ने अब तक 11 करोड़ रोजगार पैदा किए हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार पहले ही ‘सोलर वस्त्र स्कीम’ के तहत 13 कलस्टर को मंजूरी देने की प्रक्रिया में है। इसमें से प्रत्येक क्लस्टर तीन हजार से अधिक नौकरियां सृजित करने की क्षमता रखता है। सरकार इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है, क्योंकि यह रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय संभाल रहे गडकरी ने बताया कि नई दिल्ली से मुंबई के बीच 12 लेन के कंक्रीट एक्सप्रेस हाइवे पर भी काम शुरू हो चुका है। उन्होंने हाइवे पर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का संग्रहालय बनाने की बात भी कही। यह संग्रहालय भारतीय हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट की मार्केटिंग में और पर्यटन को प्रोत्साहित करने में मददगार होगा। 

गडकरी ने बताया कि सरकार 400 रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ का प्रयोग अनिवार्य कर रही है। हवाई अड्डों पर भी इस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी है। सिंगल यूज प्लास्टिक के निपटने में यह कारगर पहल होगी।


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